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कार्तिक पूर्णिमा पर साल में एक बार दर्शन देते हैं कार्तिकेय, स्नान पर मिलता है विशेष फल

वैसे तो हर पूर्णिमा का अपना महत्व है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान आदि से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कथाएं प्रचलित हैं...

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Purnima Upavas and Purnima Vrat

इंदौर. भगवान शंकर के त्योहारों में कार्तिक पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में पूरे साल में 12 पूर्णिमा आती हैं। वैसे तो हर पूर्णिमा का अपना महत्व है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान आदि से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कथाएं प्रचलित हैं।

कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा गया। इस घटना के बाद से ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहा गया। यह भी माना जाता है कि यदि इस दिन कोई व्यक्ति गंगा में स्नान करता है तो उसे साल भर के स्नान का फल मिलता है।

इस साल कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर के दिन है

इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है और लोग देश की प्रमुख नदियों में स्नान करने जाते हैं। जिन नदियों के पास में ज्योतिर्लिंग बने हुए हैं वहां को और भी ज्यादा महत्व माना जाता है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर के दिन है।

ओंकारेश्वर और उज्जैन में उमड़ती है भीड़
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ओंकारेश्वर और उज्जैन जैसे शहरों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ओंकारेश्वर में नर्मदा और उज्जैन में शिप्रा स्नान का बड़ा महत्व है। मध्यप्रदेश के अलग अलग जिलों से लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां पर आते हैं और स्नान करते हैं। देखा जाए तो ग्रामीण इलाकों में इन त्योहारों के प्रति अधिक श्रद्धा है लोग इन दिनों को विशेष महत्व देते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा की कई अन्य रोचक कथाएं
देवी तुलसी का जन्म :माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवी तुलसी बैकुण्ठ धाम में प्रकट हुईं थीं। इसी दिन देवी तुलसी ने पृथ्वी पर जन्म ग्रहण किया और बाद में वे घर घर जाकर सुख और शांति का माध्यम बनीं।
मत्स्य अवतार में आए विष्णु :भगवान विष्णु को इस बात की चिंता हो रही थी कि प्रलयकाल में धरती पर सब नष्ट हो जाएगा। उन्हें यह भी पता था कि इस दौरान वेद भी नहीं बचेंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर मत्स्य अवतार लिया।
कार्तिकेय देते हैं दर्शन :भगवान कार्तिकेय साल में 1 बार ही दर्शन देते हैं। कार्तिकेय का एक ही मंदिर है जो ग्वालियर में है। 400 साल पुराने इस मंदिर के साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गेट खुलते हैं।