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इंदौर चिडि़याघर में फैला रैबीज, तीन दिन में 6 भेडि़यों की मौत

इंदौर चिडिय़ाघर ऐसा पहला था, जहां पिंजरे में भेडियों को पैदा किया गया था। यहां भेडियों की संख्या 12 तक पहुंच गई थी। इनमें से 4 को देश के अलग-अलग चिडिय़ाघरों में एक्सचेंज के तौर पर भेजा गया था। 3 दिन में 6 भेडियों की हुई मौत, 8 में से केवल 2 बचे।

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इंदौर चिडि़याघर में फैला रैबीज, तीन दिन में 6 भेडि़यों की मौत

इंदौर चिडि़याघर में फैला रैबीज, तीन दिन में 6 भेडि़यों की मौत

इंदौर. शहर के एक मात्र चिडि़याघर में रैबीज से 6 भेडि़यों की मौत हो गई है। अब यहां सिर्फ 2 ही भेडि़ये बचे हैं जिन्हें आइसोलेट कर दिया गया है। कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में रैबीज फैलने से सभी विभागों की चिंता बढ़ गई है। 29 मार्च को 2 भेडि़यों की अचानक मौत हो गई थी। अगले ही दिन 30 मार्च को दो और भेडियों की मौत हो गई। इसके बाद सभी भेडि़यों को आइसोलेट किया गया लेकिन इसके बाद भी 31 मार्च को दो और भेडियों ने दम तोड़ दिया।

चिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया, तीन दिन में छह भेडि़यों की मौत के बाद हमने पशु चिकित्सा महाविद्यालय से विशेषज्ञों की टीम बुलाकर पोस्टमॉर्टम करवाया। डॉक्टर्स ने दोनों भेडियों के खून और लार की जांच के साथ रैबीज टेेस्ट किया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इससे चिडिय़ाघर में अन्य जानवरों को लेकर भी खतरा बढ़ गया है।बचे हुए दो भेडियों में चार साल का नर और ढाई साल की मादा है, जिनकी जांच की जा रही है। चूंकि रैबीज लाइलाज है, इसलिए उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखते हुए दवाओं के जरिए जिंदा रखने की कोशिश की जा रही है। वहीं चिडियाघर प्रबंधन ने अन्य जानवरों के पिंजरों में भी दवाओं का छीड़काव करना शुरू कर दिया है।

लार या खून से होता है रेबीज
रैबीज के कीटाणु इससे ग्रस्त जानवरों की लार में होते हैं। काटने से यह बीमारी अन्य जानवरों में फैलती है। रैबीज ग्रस्त जानवर के खून में भी इसके कीटाणु होते हैं। रेबीज मुख्यत: खून पीने वाले चमगादड़ों के काटने से फैलता है। डॉक्टर्स जांच कर रहे हैं कि किसी रैबीज ग्रस्त जानवर का मांस तो इन्हें नहीं दिया गया। या फिर इनके पिंजड़े में कोई बाहरी जीव जैसे कुत्ता तो नहीं घुसा।