
बोरवेल की अनुमति में ऐसे चल रही धांधली
इंदौर। बोरवाल की अनुमति के पहले नगर निगम में जल कर की मद में दो हजार रुपए की रसीद कटाना अनिवार्य है लेकिन बिना राशि चुकाए धड़ल्ले से अनुमतियां जारी हो रही है। ये ढर्रा तब से बिगड़ा है जब से एसडीएम को अधिकार मिले। अब तक दो सौ से अधिक अनुमतियां जारी हो गई जिसमें निगम को लाखों रुपए का फटका लग गया।
पानी की समस्या को लेकर कांग्रेस सरकार के मंत्री व विधायकों की घेराबंदी करने के बाद में कलेक्टर ने एसडीएम को बोरवाल की अनुमति जारी करने के निर्देश जारी कर दिए थे। उस आदेश के बाद में आम जनता को राहत की सांस मिली क्योंकि पहले केंद्रीय भू जल प्राधिकरण के निर्देशानुसार जिले में गठित कमेटी अनुमति जारी करती थी।
अब सारी रिपोर्ट आने के बाद एसडीएम खुद ही आदेश जारी कर देते हैं। मजेदार बात ये है कि सभी ने मिलकर एक कमेटी बना ली है। बोरवेल के इस फेर में नगर निगम को लाखों रुपए का फटका लग रहा है। नियमानुसार कलेक्टर हेल्पलाईन में आवेदन करने के बाद एसडीएम नगर निगम व पीएचई से एनओसी मांगते है। वहां से आने के बाद में एसडीएम को आवेदन कमेटी के समक्ष रखना चाहिए।
अनुमति जारी करने से पहले नगर निगम में जमा होने वाले जल कर शुल्क के तौर पर दो हजार रुपए की चालान से राशि जमा करानी होती है। यह रसीद जब जमा होती है तब अनुमति जारी होना चाहिए। चौंकाने वाली बात ये है कि एसडीएम बिना नगर निगम की रसीद जमा कराए धड़ल्ले से अनुमति जारी कर रहे हैं। कहीं भी नगर निगम की रसीद नहीं देखी जा रही है। उसके बजाए एसडीएम का पूरा फोकस अपने रेड क्रास सोसाइटी के लक्ष्य पर है। अनुमति लेने वाले से रेड क्रास की रसीद कटा ली जाती है।
संकट में कमेटी का अस्तित्व
केंद्रीय भू जल बोर्ड ने इंदौर को भूजल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। इस वजह से सीधे बोरवेल कराए जाने पर रोक है। उसकी अनुमति के लिए एक कमेटी का गठन किया गया जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य, आईडीए, जिला पंचायत, केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड भोपाल का एक सदस्य, पीएचई, नगर निगम, नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी के एक- एक सदस्य रहते हैं। ये कमेटी नगर निगम व पीएचई की रिपोर्ट के बाद में अनुमति देती थी।
Published on:
06 Mar 2019 11:22 am
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