
मंगल ग्रह पर पानी बनाने का फॉर्मूला बताकर आईएएस बने इंदौर के राहुल
आईआईटी मुंबई से पढ़े इंदौर के राहुल जैन को यूपीएससी के फाइनल नतीजे में मिली 21 वीं रैंक
इंदौर.
संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 के नतीजे जारी किए। सितंबर-अक्टूबर 2018 में हुई मुख्य परीक्षा और फरवरी-मार्च 2019 में हुए इंटरव्यू हुए थे। इंडियन रेल्वे ट्रैफिक सर्विस के अफसर राहुल जैन ने यूपीएससी के फाइनल रिजल्ट में 21 वीं रैंक हासिल करते हुए आईएएस बनने का सपना पूरा कर लिया है। कैमिकल इंजीनियरिंग से मास्टर डिग्री होने के कारण इंटरव्यू में उनसे काफी कठिन सवाल पूछे गए थे। मंगल गृह पर इंसानों के लिए भोजन की व्यवस्था के सवाल पर राहुल ने जवाब दिया कि पत्थरों से ऑक्सीजन निकालकर पहले पानी बनाया जा सकता है। पानी होने पर सब्जियां उगाना आसान हो जाएगा।
राहुल के पिता रवींद्र कुमार जैन आईडीए में डिप्टी सीईओ है। राहुल ने बताया, मैंने आईआईटी मुंबई से कैमिकल इंजीनियरिंग में यूजी और पीजी किया। इसके बाद कुछ समय बैंकिंग सेक्टर में नौकरी की थी। प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए पहली बार यूपीएससी दी तो 426 वीं रैंक बनी थी। लखनऊ और वड़ोदरा में इंडियन रेल्वे ट्रैफिक सर्विस की ट्रेनिंग ली लेकिन, जॉइनिंग के बाद दूसरी बार यूपीएसी देने के लिए छुट्टी लेकर तैयारी में जुट गया। पहले प्रयास के बाद मैंने उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जिससे अच्छी रैंक नहीं लग पाई थी। तब बैंकिंग सेक्टर में जॉब के कारण इंटरव्यू में फाइनेंस के ही सवाल थे। इस बार कैमिकल इंजीनियरिंग के सवाल ज्यादा होने से थोड़ी कठिनाई आई। पढऩे के लिए कुछ नया नहीं बचा था। इसलिए पेपर और इंटरव्यू की स्ट्रेटेजी बदली। इस बार छोटे नोट्स बनाकर लिखने और याद करने की आदत डाली। हर काम के लिए टाइम-टेबल निर्धारित किया था।
पेट्रोल पंप पर काम करने वाला का बेटा भी चयनित
इंदौर के प्रदीप सिंह ने ९३वीं रैंक पाने में सफलता हासिल की। इसकी जानकारी लगते ही परिजन व दोस्तों में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रदीप सिंह ने आईआईपीएस से बीकॉम ऑनर्स की डिग्री लेने के बाद दो साल दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की है। प्रदीप के पिता मनोज सिंह देवास नाका स्थित पेट्रोल पंप पर गाडिय़ों में पेट्रोल भरने का काम करते है। मां अनीता देवी गृहणी और बड़ा भाई संदीप सिंह प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है। प्रदीप की काबिलियत देखते हुए उन्होंने घर बेच दिया। फिलहाल परिवार किराए के घर में रह रहा है। प्रदीप ने बताया, इस कामयाबी के पीछे मेरे परिवार ने काफी संघर्ष किया। पिता और भाई ने मिलकर दिल्ली की पढ़ाई का खर्च उठाया। ग्रेजुएशन के बाद मैंने प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी के साथ जॉब करने की इच्छा जताई तो घरवालों ने भरोसा जताते हुए कहा था कि मैं अफसर बन सकता हूं। मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मानता हूं कि मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने में सफल रहा। प्रशासनिक सेवा में जाने का मुख्य मकसद समाजसेवा करना है।
Published on:
06 Apr 2019 08:30 pm
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