
उत्तम राठौर/अजय तिवारी
इंदौर. शहर में बाहर से आने वाले लोग रैन बसेरों में नि:शुल्क ठहर सकते हैं। शहर में 14 रैन बसेरे हैं। न्यू•ा टुडे ने जब इनकी पड़ताल की तो पाया कि इनमें सख्ती बढ़ा दी गई है, ताकि कोई संदिग्ध व्यक्ति न ठहर पाए। यहां इतनी सख्ती हो गई है कि बिना आधार कार्ड या आईडी प्रूफ के एंट्री नहीं हो सकती। हालांकि यहां रुकने वालों पर नजर रखने के लिए कैमरे नहीं हैं, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर कोई घटना हो जाती है तो ये पता लगाना मुश्किल होगा कि इसे अंजाम किसने दिया।
१.‘थाने से लिखवा लाओ, फिर रुक जाना’
स्थान : रैन बसेरा, गंगवाल बस स्टैंड
समय- रात- 12.20 बजे
रिपोर्टर : भैया रात को यहां रुकना है, जगह मिल जाएगी?
इंचार्ज : आईडी प्रूफ लगेगा।
रिपोर्टर : क्या देना होगा आईडी प्रूफ में?
इंचार्ज : आधार कार्ड की फोटोकॉपी।
रिपोर्टर : वो तो नहीं है हमारे पास।
इंचार्ज : ... तो लाइसेंस दे दो।
रिपोर्टर : वह भी नहीं है।
इंचार्ज : कोई तो आईडी प्रूफ देना होगा, बगैर इसके एंट्री नहीं मिलेगी?
रिपोर्टर : कुछ नहीं है, बगैर प्रूफ के ही हमें ठहर जाने दो?
इंचार्ज : जाओ भैया, अगर कुछ आईडी प्रूफ नहीं दोगे तो हमारी नौकरी चली जाएगी। एक काम करो, ठहरना ही है, तो थाने से लिखवाकर ले आओ, फिर रुकने देंगे।
रिपोर्टर : जो लोग सो रहे हैं, उनके आधार कार्ड दिखाओ, उनसे लिए या नहीं?
इंचार्ज : इस पर इंचार्ज ने जितने व्यक्ति सोए थे, उन सभी के आधार कार्ड की फोटो कॉपी और लाइसेंस सहित अन्य प्रूफ न्यूज टुडे टीम को दिखाए। यहां 30 से ज्यादा लोग ठहरे हुए मिले।
२.सभी की एंट्री रजिस्टर में मिली
स्थान : रैन बसेरा, पलसीकर चौराहा
समय : रात 12.40 बजे
न्यूज टुडे टीम ने गंगवाल बस स्टैंड की तरह ही आईडी प्रूफ न होने की बात इंचार्ज से कही। यहां भी आईडी प्रूफ के बिना एंट्री नहीं मिली। एक समय इस रैन बसेरे में ताला लगा होता था। पशु विचरण करते थे। इसे एक एनजीओ को देने के बाद लोग यहां रुकने लगे हैं। यहां करीब 14 लोग थे, जिनकी एंट्री रजिस्टर में आईडी प्रूफ के साथ थी। कोई पलंग पर तो कोई जमीन पर सोया हुआ था।
३....
स्थान : रैन बसेरा, गाड़ी अड्डा
समय : रात 01.35 बजे
यहां भी नहीं मिली एंट्रीटीम यहां पहुंची तो यह खाली पड़ा था। कोई ठहरा नहीं था। मौजूदा स्टाफ के अनुसार रोज 8 से 10 लोग ठहरते हैं। हमने ठहरने की बात कही और आईडी प्रूफ न होना बताया। इस पर स्टाफ ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि आजकल सख्ती बहुत है, बगैर परिचय पत्र के हम नहीं ठहरने देंगे।
४.गंदे बिस्तर पर सो रहे थे लोगस्थान : रैन बसेरा, सरवटे बस स्टैंड
समय : रात 01.50 बजे
न्यूज टुडे टीम यहां पहुंची। यहां भी बिना आईडी प्रूफ के एंट्री नहीं दी जा रही थी, लेकिन यहां बिस्तर, तकिए और चादर की हालत खराब थी। गंदे बिस्तर पर ही लोग सो रहे थे। ऐसे ही हालात गंगवाल बस स्टैंड रैन बसेरा के थे। यहां करीब 30 व्यक्ति ठहरे हुए थे।
५.‘विजिटिंग कार्ड नहीं, आईडी प्रूफ लाओ’
स्थान : रैन बसेरा, झाबुआ टॉवर
समय : रात 02.10 बजेटीम :
भैया, हम दोनों को यहां रात रुकना है, जगह मिल जाएगी?
इंचार्ज : दोनों का आईडी प्रूफ दे दो।
फोटोग्राफर : नहीं है भाई। मेरा फोटो स्टूडियो है और इनको यहां ठहरना है, पर आईडी प्रूफ नहीं है, दुकान का कार्ड चलेगा?
इंचार्ज : बिना आईडी प्रूफ के नहीं रखेंगे। अगर नहीं है, तो दुकान के कागज दे दो, इसके बिना नहीं ठहरने देंगे।
रिपोर्टर : कुछ तो करो?
इंचार्ज : हम कुछ नहीं कर सकते हंै, आप जाओ।
(यहां पुरुषों के साथ अलग कमरे में दो महिलाएं भी अपने बच्चों के साथ ठहरी हुई थीं, जो गुना से मजदूरी करने आईं थीं। उन्होंने बताया कि यहां हमें कोई परेशानी नहीं है। यहां 30 लोग ठहरे थे, लेकिन पलंग कम होने से सात लोग जमीन पर सोए थे। यह रैन बसेरा भी एक एनजीओ के पास है।)
६.नहीं आते लोग, खाली पड़ा रहता
स्थान : किला मैदान
समय : रात 02.45 बजे
यहां 15 पलंग लगे हुए थे और बिस्तर आदि की हालत भी अच्छी थी, लेकिन लोग नहीं आते। इंचार्ज के अनुसार सप्ताह में 8 से 10 ही लोग यहां आते हंै। कई दिनों तक यह खाली पड़ा रहता है। पहले यहां निगम के स्टाफ का कब्जा था, जिसे हटा दिया है। यहां भी बगैर आईडी प्रूफ के एंट्री नहीं दी गई।
रात में आती है पीसीआर वैन
रैन बसेरों में कोई संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं सो रहा, इसकी जांच करने रात को पुलिस की पीसीआर वैन या टीआई खुद चेकिंग करने आते हैं। रात में 12 बजे बाद कभी भी चेकिंग हो जाती है। अगर कोई व्यक्ति संदिग्ध लगता है, तो पुलिस के हवाले कर देते हंै।
बिस्तर की हालत खराब
रैन बसेरों में सफाई तो है, लेकिन बिस्तरों की हालत कई जगह खराब है। मैले और फटे बिस्तरों पर ही लोगों को सोना पड़ रहा है। इस कारण उन्हें बीमारियों की चपेट में आने की आशंका भी बनी रहती है।
स्थानीय को नो एंट्री
रैन बसेरे में सिर्फ बाहरी व्यक्ति को सोने के लिए जगह दी जाती है, स्थानीय लोगों को एंट्री नहीं दी जाती। सिर्फ ठंड में स्थानीय लोगों को रैन बसेरे में जगह दी जाती है, वरना लोग फुटपाथ पर ही सोते हैं। रैन बसेरा संभालने वालों का कहना है कि स्थानीय को रख लें, लेकिन कोई शराब पीकर आता है या घर से झगडक़र।
महिला स्टाफ की जरूरत
रैन बसेरों में महिलाओं के ठहरने की व्यवस्था तो है, लेकिन महिला स्टाफ नहीं है। पुरुष ही रैन बसेरा संभालते हंै। इनमें महिला स्टाफ होना चाहिए, ताकि महिलाओं को यहां कोई परेशानी हो तो वे उन्हें बता सकें।
लॉकर और टीवी भी रैन बसेरों में लॉकर और मनोरंजन के लिए टीवी भी है।
यहां भी हैं रैन बसेरे
खजराना, अरबिंदो हॉस्पिटल, जिला अस्पताल परिसर, सामाजिक न्याय विभाग (आईटीआई के पास) टीबी हॉस्पिटल, पीपल्याहाना, सुभाष नगर और सुखलिया।
-रैन बसेरों में ठहरने वालों के लिए व्यवस्था ठीक की जा रही है। कोई कमी है, तो उसे दिखवाकर दूर किया जाएगा। कैमरे लगाने और बिस्तरों पर भी ध्यान दिया जाएगा। स्टाफ को निर्देश दिए हैं कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बिना आईडी प्रूफ और जांच पड़ताल करे, किसी को भी नहीं ठहराया जाएगा। ऐसा हुआ, तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
मनीष सिंह, आयुक्त नगर निगम
पहले से रैन बसेरों की हालत काफी सुधरी है। कोई अव्यवस्था न हो, इस पर ध्यान दिया जा रहा है। लोगों की सुविधा की दृष्टि से काम करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। इस पर जल्द ही काम होगा। संदिग्ध लोग आकर न ठहरें, इसके लिए स्टाफको निर्देश दिए हैं।
शोभा गर्ग, प्रभारी, शहरी गरीब उपशमन विभाग
Published on:
20 Sept 2017 04:24 pm
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