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देखिए इस बदहाल गांव को ,गोद लेकर लावारिस छोड़ दिया लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने

सांसद सुमित्रा महाजन द्वारा गोद लिए पोटलोद गांव की हालत में कोई सुधार नहीं, जबकि 2016 तक बन जाना था आदर्श ग्राम, हकीकत बयां करती मनीष यादव की रिपोर्ट

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village potlod

इंदौर. केंद्र सरकार के तीन साल का जश्न मन रहा है। हमारे प्रधानमंत्री ने तीन साल पहले देश के हर सांंसद से एक गांव गोद लेने की अपील की थी, जिसे आदर्श गांव बनाया जाना था। लोकसभा स्पीकर व इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन ने पोटलोद गांव गोद लिया था। ये गांव कितना आदर्श बना, इसकी हकीकत जानने के लिए न्यूज टुडे टीम पोटलोद पहुंची तो पता चला कि तीन साल में तो इसे बैठने, चलने और दौडऩे लग जाना चाहिए था, लेकिन ये अब भी गोदी में ही है... बदहाली का शिकार है, मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा है। पहुंच मार्ग खस्ताहाल है, लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, अस्पताल है लेकिन खुलता नहीं, डॉक्टर आते नहीं।

5000 लोगों की आबादी

महाजन द्वारा गोद लिए गए पोटलोद की हालत में सुधार नहीं है। इसे 2016 तक आदर्श ग्राम बन जाना था, लेकिन तीन साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से लोग मोहताज हैं। कहने को तो करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन सरकार की योजनाएं सिर्फ दिखावे तक ही सीमित रह गईं। लगभग 5000 लोगों की आबादी वाला यह गांव जब महाजन ने गोद लिया था, तब इसकी हालत ठीक नहीं थी। विकास कार्यों की स्थिति बहुत ही खराब थी। सांसद द्वारा गोद लिए जाने से ग्रामीण खुश थे कि कम से कम अब उन्हें समस्याओं से मुक्ति मिलेगी, लेकिन आज भी पोटलोद सडक़, पानी, बिजली और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है।

‘पानी की टंकी व मुक्तिधाम बनवाया, क्या वहां से कूद मरे’

पोटलोद गांव के ही रहने वाले एक ग्रामीण से जब सांसद द्वारा गांव को गोद लिए जाने के बाद हुए विकास कार्यों के बारे में बात की गई तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंंने चुटकी लेते हुए बताया कि ताई ने गांव में दो काम ही अच्छे किए हैं। एक तो पानी की खूब ऊंची टंकी बनवा दी और दूसरा श्मशान घाट नया बनवा दिया। क्या टंकी से कूदें और श्मशान में जल जाएं। कुछ ऐसी ही तीखी प्रतिक्रिया अन्य ग्रामीणों की भी थी।


टीम जब विकास कार्यों की स्थिति जानने के लिए पोटलोद पहुंची तो गांव के तिराहे पर ही कुछ लोगों को एक घर के बाहर बैठे पाया। गांव में पेयजल की स्थिति बहुत खराब है। हालत यह है कि इंसान तो क्या, यह पानी जानवरों के पीने लायक भी नहीं है। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

गांव में गंदगी भी नजर आती है। हरिजन मोहल्ले की ओर जाने पर पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। नाम न छापने की शर्त पर महिला ने बताया कि गांव में नाली के स्थान पर गड्ढा खोद दिया गया है। पूरे गांव का पानी आकर आगे नाले में जाता है। साफ-सफाई के लिए उन्हें रुपए देकर किसी व्यक्ति को लाना पड़ता है, तब जाकर नालियों की सफाई हो पाती है।

जल्द खत्म कर देंगे समस्याएं
आदर्श ग्राम के तहत काम तो हुए हैं। कुछ हिस्सों में सडक़ का काम बाकी है, उसे भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। पानी की समस्या के लिए भी ठेकेदार और पंचायत के कर्मचारी मिलकर काम कर रहे हैं। जहां तक डॉक्टर की बात है, उसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
ओम मंडलोई, सरपंच पोटलोद

-स्वास्थ केंद्र... है पर डॉक्टर नहीं। ताला ही नहीं खुलता है।
-पानी की टंकी... है पर पाइप लाइन फूटी, फिल्टर खराब
पड़ा है।
-सडक़... है पर सिर्फ गांव के कुछ हिस्से में, अप्रोच रोड पर गड्ढे और कीचड़, चलना भी मुश्किल।
-बिजली... है पर स्ट्रीट लाइट नहीं, गांव के कई हिस्सों में तो पोल ही नहीं लगे हैं।
- नाली... गांव में एक या दो जगह।
- स्वच्छता... साफ सफाई नहीं होती, जगह-जगह कचरे का ढेर।
- शिक्षा... स्कूल मिडिल क्लास तक ही।