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कच्चे माल की बढ़ती कीमतें तोड़ रहीं उद्योगों की ‘कमर’

- आयत प्रभावित होने से एक साल में तीन गुना तक बढ़ीं कीमतें - कंटेनर्स की कमी के साथ आयात का भाड़ा भी दोगुना तक बढ़ा - कीमतें बढऩे पर अब उत्पादन में कमी करने को मजबूर उद्योगपति  

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कच्चे माल की बढ़ती कीमतें तोड़ रहीं उद्योगों की 'कमर'

कच्चे माल की बढ़ती कीमतें तोड़ रहीं उद्योगों की 'कमर'

विकास मिश्रा, इंदौर

आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मप्र अभियान के बीच उद्योग जगत को मजबूत करने की मुहिम के बीच इंडस्ट्री में लगने वाले रॉ मटेरियल (कच्चे माल) की लगातार बढ़ती कीमतें उद्योगों की कमर तोड़ रहे हैं। पिछले एक साल में उद्योगों में लगने वाले कच्चे माल की कीमतों में दो से तीन गुना तक का इजाफा हुआ है। कोरोना संक्रमण के चलते अंतरराष्ट्रीय माल के आवागमन सहित आयात में उपयोग होने वाले कंटेनर्स की कमी इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है। पिछले एक साल में अचानक बढ़ी कीमतों का असर अब उत्पादन पर भी दिखाई दे रहा है। पुराने ऑर्डर को पूरा करने में उद्योगपतियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है, इसलिए भी उत्पादन कम कर रहे हैं। मेटल, केमिकल, प्लास्टिक दाने के साथ-साथ पैकेजिंग उद्योग से जुड़े पेपर तक की कीमतें पिछले दिसंबर की तुलना दोगुनी हो गई है।

केमिकल दोगुने से अधिक महंगे

सर्फ, साबुन बनाने सहित लगभग सभी उद्योगों में अलग-अलग तरह के केमिकल की जरूरत होती है। पिछले दिसंबर से अब तक एक साल में केमिकल कीमतों में दो से ढाई गुना तक बढ़ गए हैं। अहिल्या सर्र्फेकेंट्स मैनुफेक्चर्स एसोसिएशन के सचिव राजेश गर्ग ने बताया, पिछले दिसंबर में 21 रुपए किलो मिलने वाला सोडा एश अभी 38 रुपए पर पहुंच गया है। कॉस्टिक सोडे की कीमत 26 से 76 रुपए किलो हो गई है। एओएस भी 28 से 45 रुपए किलो पर है। लाब्सा की कीमत भी 76 से 113 रुपए किलो पहुंच गई। डोलोमाइट पावडर में दोगुनी उछाल है। सल्फ्यूरिक एसिड के भाव में ढाई गुना की बढ़ोतरी हुई है। दो महीने में 8 रुपए किलो से 22 रुपए किलो तक दाम पहुंच गया है। सोडियम नाइट्राइड की कीमत 30 रुपए से बढ़कर 90 रुपए किलो हो गई है।

मेटल भी पहुंच से बाहर

एल्यूमिनियम, लोहा, कॉपर सहित अन्य मेटल का रॉ मटेरियल भी मंहगा है। लोहा महंगा होने से लगभग हर उद्योग पर असर हो रहा है। पिछले वर्ष के दिसंबर की तुलना करें तो सभी सभी मेटल मंहगा हुआ है। एआईएमपी के उपाध्यक्ष योगेश मेहता ने बताया पिछले दिसंबर में लोहा 40 से 42 रुपए किलो था जो अब 60 रुपए तक पहुंच गया था। यह कीमत 65 तक भी गई थी। लोहे का इस्तमाल कई इंडस्ट्रीयों में होता है। मशीनरी और इंजीनियरिंग के अलावा कृषि उपकरण बनाने वाले उद्योगों को इससे खासी परेशान का सामना करना पड़ रहा है। एल्युमिनियम की कीमत करीब 130 रुपए किलो थी, जो अब 270 रुपए किलो तक पहुंच गई है। कॉपर की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। 500 रुपए से भाव बढ़कर 800 रुपए तक पहुंच गई है।

दवा निर्माण का दर्द भी कम नहीं

ड्रग मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी का कहना है, पिछले एक साल में दवाओं के कच्चे माल में 30 से 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। चीन सहित अन्य देशों से होने वाले आयात में कमी के कारण भी दरें बढ़ी हैं। पिछले दिसंबर से तुलना करें तो पैरासिटामोल 500 रुपए किलो से 750 रुपए किलो हो गया है। एजिथ्रोमाइसिन के दाम 8 हजार से बढ़कर 11000 हो गए हैं। एंटीबाइटिक डॉक्सीसाइक्लिन 7 से 9 हजार रुपए किलो पहुंच गया है। कोरोना में काम आने वाले डेग्जा की कीमत 45 हजार से 60 हजार पहुंच गई है। साइट्रिक एसिड भी 60 से बढ़कर 225 रुपए किलो हो गया है। मूलचंदानी का कहना है, अमूमन इस दौरान दवाओं का कच्चा माल 20 से 30 फीसदी सस्ता हो जाता था, लेकिन इस वर्ष बढ़ा हुआ है।

पैकेजिंग उद्योग से जुड़ा कागज दोगुना महंगा

कोरोगेटेड बॉक्स (पुष्टे के खाकी बक्से) बनाने में इस्तेमाल होने वाले क्रॉफ्ट पेपर (रॉ मटेरियल) के भाव दोगुना बढ़ गए हैं। पिछले साल तक 19-20 रुपए किलो वाला क्रॉप्ट पेपर इन दिनों 40-42 रुपए किलो चल रहा है। एसोसिएशन के पुनीत माहेश्वरी ने बताया, पेपर महंगा होने से निर्माण लागत बढ़ गई है, इससे पूरे पैकिंग इंडस्ट्रीज पर असर पड़ा है। पैकिंग में इस्तमाल होने वाली प्लास्टिक की कीमतें भी बढ़ी हुई हैं।

प्लास्टिक भी 50 फीसदी तक महंगा

प्लास्टिक के रॉ मटेरिलय (दाने) की कीमत में एक साल में 50 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। उद्योगपति अनिल पालीवाल ने बताया, पिछले दिसंबर में 60 से 70 रुपए किलो मिलने वाले दाने की कीमत अभी 110 से 115 रुपए किलो चल रही है। पुरानी कीमतों के आधार पर लिए गए ऑर्डर पूरे करने में अब घाटा उठाना पड़ रहा है। इन दानों से विभिन्न तरह के उत्पादन बनाए जाते हैं। मप्र में प्लास्टिक उद्योग का हब इंदौर संभाग है। यहां से प्लास्टिक की छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 6 हजार इंडस्ट्री हैं, जो हर महीने करीब 1200 करोड़ का टर्न ओवर करती हैं।