
महिनों पहले भूमिपूजन हो गया काम अब तक शुरू नहीं हुआ
सांवेर. अजनोद मार्ग से गंवला गांव जाने वाली डामरीकृत सडक़ पूरी तरह उखड़ कर आवागमन के काबिल नहीं बची है। बड़े वाहनों को निकालकर ले जाना जोखिमभरा हो गया है। कारों के चेंबर फूट रहे हैं और मोटरसाइकिल वाले गिर रहे हैं। गंवला के ग्रामीणों का मन समझाने के लिए करीब पांच माह पहले मार्ग के नवनिर्माण का भूमिपूजन भी कर दिया मगर काम शुरू होने का आज तक भी इंतजार है।
गंवला मार्ग की जर्जर हालत और गड्ढों के कारण इस गांव के साथ ही पड़ोसी गांव खामोद, कमल्या और बीसाखेड़ी के ग्रामीण भी त्रस्त हैं। यह तीन किमी का मार्ग इतना खतरनाक हो गया है कि अनेक दोपहिया वाहन वाले भी रोजाना गिर कर जख्मी हो रहे हैं। किसानों की ट्रैक्टर ट्रॉलियां भी आए दिन पलटी खा रही हैं। मार्ग की खस्ता हालत का प्रमुख कारण कुछ साल पहले हुए इसके निर्माण में निम्न स्तरीय निर्माण सामग्री तो रही ही है, एक बड़ा कारण तीन साल पहले खामोद और बीसाखेड़ी के मार्गों के निर्माण के लिए गिट्टी मुरम या अन्य निर्माण सामग्री लेकर इस मार्ग से निकले बड़े और भारी डंपरों द्वारा इस मार्ग को एक तरह से रौंद डालना भी है।
तब ही की थी शिकायत
गंवला , खामोद , बीसाखेड़ी के जनपद प्रतिनिधि इश्तियाक शेख का कहना है कि कमजोर बने गंवला मार्ग को उधेडक़र रख देने वाले डंपरों को खामोद मार्ग के निर्माण के उन दिनों रोकने का मैंने प्रयास भी किया था। अधिकारियों से भी इसकी शिकायत की थी , तब अधिकारियों ने तो ध्यान नहीं दिया था, अलबत्ता ठेकेदार ने जरूर भरोसा दिया था कि खामोद मार्ग पूर्ण हो जाने के बाद इस गंवला मार्ग को अच्छी तरह दुरुस्त करवा देगा ,किन्तु आज तक न तो वह ठेकेदार पलट कर आया और न ही लोक निर्माण विभाग के किसी अधिकारी ने आकर इस मार्ग की सुध ली। इश्तियाक ने बताया कि दो माह पहले मैंने इस बाबद प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था , वहां से एक बार फोन भी आया था मगर हुआ कुछ नहीं।
त्रस्त ग्रामीणों का कहना है, गंवला वालों को भी बिलोदा , सिलोदा के ग्रामीणों की तरह मतदान के बहिष्कार का कदम उठाना पड़ेगा। हालांकि यह सही है कि इस मार्ग के लिए टेंडर हो चुका है, लेकिन उसका फायदा क्या जब रास्ता तो उसी तरह बदहाल है।
Published on:
27 Oct 2018 08:32 pm
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