
jyotiraditya-scindia : ज्योतिरादित्य सिंधिया के मालवा के दौरे से गरमाई राजनीति
इंदौर : भाजपा BJP के राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के मध्यप्रदेश के इंदौर दौरे से मालवा की राजनीति गरमा गई है। भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के इंदौर-उज्जैन का दौरा मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए महात्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि सिंधिया ने जबसे कांग्रेस Congress छोड़ी है और भाजपा में आये हैं, उसके बाद से अब तक 6 महीने से अधिक का समय हो गया वे अब तक अपने गृहनगर ग्वालियर नहीं आये, आखिर उन्होंने अपने अंचल के लोगों से किनारा क्यों कर रखा है? जबकि 27 में सर्वाधिक 16 सीटों पर उप चुनाव ग्वालियर चंबल अंचल में ही होने हैं। ग्वालियर के सिंधिया समर्थक लम्बे समय से उनके यहां आने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उनका इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा।
ग्वालियर में भी सिंधिया का इंतजार
सिंधिया खेमे से जुड़े नेताओं का कहना है कि हजारों की संख्या में कांग्रेस के भीतर बैठे उनके समर्थकों को इस बात का इंतजार है की जब महाराज ग्वालियर आएंगे तब वे उनके सामने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। लेकिन अब इनके सब्र का बांध टूटता दिखाई दे रहा है। क्या सिंधिया के ना आने के पीछे भाजपा नेताओं का दबाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके बहुत से समर्थक भी भाजपा में आ गए हैं! वर्तमान में जिले में तीन मंत्री हैं इनमें से दो सिंधिया समर्थक है यानि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये हैं और दोनों कैबिनेट मंत्री हैं। जबकि जिले में जीतकर आये एक मात्र भाजपा विधायक राज्य मंत्री हैं। जानकार बताते हैं कि ऐसे ही उपेक्षित महसूस कर रहे भाजपा के नेता नहीं चाहते कि सिंधिया अभी ग्वालियर आयें और वे इस बात के लिए लगातार पार्टी नेतृत्व पर अपना दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है ये पार्टी नेतृत्व ही जानता होगा।
ग्वालियर चंबल से दूरी, मालवा के दौरे से गरमाई राजनीति
सिंधिया का ग्वालियर चंबल संभाग से दूरी बनाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय जरूर बना हुआ है कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात बदलेगी मालवा की सियासत इस बीच चर्चा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय के बीच मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में आमने-सामने भिड़ंत रही है। साल 2010 के चुनावों में तो उनके बीच भारी जद्दोजहद हुई थी। सिंधिया उस वक्त केंद्र की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री थे तो कैलाश विजयवर्गीय प्रदेश की भाजपा सरकार में इसी विभाग के काबीना मंत्री का ओहदा संभाल रहे थे। भारी खींचतान के बीच हुए इन चुनावों में सिंधिया ने एमपीसीए अध्यक्ष पद पर विजयवर्गीय को 70 वोटों से हराया था। उस वक्त कैलाश विजयवर्गीय ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का छोटा नेता बताया था, लेकिन वो चुनाव सिंधिया के एक शक्ति प्रदर्शन भी था। अब सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने से कई सियासी समीकरण बदल गए हैं।
Published on:
17 Aug 2020 04:34 pm
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