
कॉलेजों में सीटें खाली, दाखिले के लिए भटक रहे छात्र : प्राचार्य संघ ने खोला शासन के खिलाफ मोर्चा
इंदौर.
प्रदेश के कॉलेजों में मेरिट के आधार पर दाखिले का मौका देने के लिए शुरू हुई ऑनलाइन काउंसलिंग अब विद्यार्थियों के साथ-साथ कॉलेजों के लिए भी जंजाल बन गई है। सीएलसी के अंतिम चरण के बावजूद शहर के कॉलेजों में ६० फीसदी तक सीट खाली है तो दूसरी ओर हजारों विद्यार्थी अब तक दाखिले के लिए भटक रहे है। काउंसलिंग प्रक्रिया की विसंगतियों से परेशान प्राचार्य संघ ने उच्च शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की घोषणा की है। बुधवार को संघ ने बैठक बुलाई जिसमें शहर के ४० से अधिक कॉलेजों के प्राचार्यों ने काउंसलिंग नियम आसान बनाने की मांग का समर्थन करते हुए इस संबंध में मंत्री और अधिकारियों से मिलकर परेशानी बताने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
बैठक में प्राचार्य संघ के अध्यक्ष डॉ.राजीव झालानी, सचिव डॉ.सचिन शर्मा, शिक्षाविद् डॉ.मंगल मिश्रा, रमेश मंगल, पूर्व कुलपति प्रो.नरेंद्र धाकड़, डॉ.अनस इकबाल, डॉ. संगीता भारुका, डॉ. कमलेश भंडारी आदि मौजूद रहे। डॉ.मंगल मिश्र ने मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि मप्र देश का सबसे पहले नई शिक्षा नीति लागू करने वाला राज्य बना है। दूसरे ही साल हालात यह है कि २८ राज्यों में सबसे कम जीईआर (सकल नामांकन अनुपात) मप्र का ही। कम दाखिले के कारण कई कॉलेजों पर ताले लगने की नौबत आ जाएगी। यह स्थिति रही तो बाकी राज्य भी नई शिक्षा नीत लागू करने से परहेज करेंगे। सरकार के पास अब भी मौका है। काउंसलिंग नियमों को आसान नहीं किया गया तो एक साल में प्रदेश उच्च शिक्षा के मामले में बहुत पिछड़ जाएगा। डॉ. रमेश मंगल ने कॉलेजों व विद्यार्थियों को आ रही समस्या के संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव व अधिकारियों से मुलाकात कर चर्चा करने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें यह समझाना होगा कि काउंसलिंग की पेचिदगियों का असर नई शिक्षा नीति पर नजर आ रहा है। डॉ. राजीव झालानी ने हर स्थिति में एडमिशन प्रक्रिया को आसान किए जाने का समर्थन किया।
सीयूईटी तक तो दिया जाएं मौका
प्राचार्य डॉ.अनस इकबाल ने १३ जुलाई तक काउंसलिंग प्रक्रिया खत्म किए जाने को गलत फैसला बताया। उन्होंने कहा, सेंट्रल यूनिवॢर्सटी सहित प्रदेश की डीएवीवी के लिए भी इस बार सीयूईटी हो रही है। ये परीक्षा २० जुलाई तक चलेगी। कई विद्यार्थी इसकी तैयारी में भी जुटे है। इसमें चयन न होने पर बाकी कॉलेजों में मौका मिले इसलिए कम से कम सीयूईटी की काउंसलिंग तक ऑनलाइन काउंसलिंग जारी रखी जाना चाहिए। डॉ. सचिन शर्मा का कहना था कि अब तक सीबीएसई के साथ कई राज्यों के बारहवीं के नतीजे नहीं आए है। एजुकेशन हब होने के कारण बाहर के विद्यार्थी भी उच्च शिक्षा के लिए इंदौर आते है। अभी काउंसलिंग प्रक्रिया आसान बनाते हुए जारी रखना ही उचित होगा। प्राचार्य संघ की बैठक में एबीवीपी पदाधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। प्रांत संगठन मंत्री निलेश सोलंकी व प्रांत मंत्री घनश्याम चौहान ने छात्रहित में शासन के समक्ष अपनी बात पुरजोर तरीके से रखने की सहमति दी।
Published on:
13 Jul 2022 07:57 pm
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