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पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा की अभिव्यक्ति है श्राद्ध

श्राद्ध पक्ष में तर्पण की क्रिया एक तरह से पूर्वजों द्वारा सौंपे गए लॉकर की वह चाबी है, जिससे हम संपत्ति के साथ संस्कारों का खजाना भी खोल सकते हैं। हमारी नई पीढ़ी को विरासत में हम संपत्ति तो सौंपते ही हैं, संस्कार भी सौंपना चाहिए।

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इंदौर

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Lavin Owhal

Sep 18, 2022

पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा की अभिव्यक्ति है श्राद्ध

पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा की अभिव्यक्ति है श्राद्ध

इंदौर. तर्पण और श्राद्ध हमारे पूर्वजों एवं पितरों के प्रति हमारी श्रद्धा व आस्था की अभिव्यक्ति है। श्राद्ध पक्ष में तर्पण की क्रिया एक तरह से पूर्वजों द्वारा सौंपे गए लॉकर की वह चाबी है, जिससे हम संपत्ति के साथ संस्कारों का खजाना भी खोल सकते हैं। हमारी नई पीढ़ी को विरासत में हम संपत्ति तो सौंपते ही हैं, संस्कार भी सौंपना चाहिए। पूर्वजों और पितरों का कर्ज कोई नहीं चुका सकता, लेकिन उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। ये विचार आचार्य पं. पवन तिवारी ने हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में पितृ मोक्षदायी भागवत के शुभारंभ सत्र में व्यक्त किए। इसके पूर्व हंसदास मठ परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा निकाली गई।इ समें बाबूलाल-गोदावरी गोयल परिवार के सदस्यों के साथ समाजसेवी प्रद्युम्न सिंघल, सुरेंद्र गोयल, डॉ. जूही गोयल, जवाहर शर्मा, मुरलीधर धामानी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। व्यासपीठ का पूजन मोहनलाल सोनी, हरि-अरुणा अग्रवाल, राजेन्द्र गर्ग आदि ने किया। हंसदास मठ पर पितृ मोक्षदायी भागवत 24 सितम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक होगी।
तर्पण और श्राद्ध हमारी प्राचीन परंपरा
सुबह तर्पण अनुष्ठान में सद्गुरु अण्णा महाराज ने कहा कि तर्पण और श्राद्ध हमारी प्राचीन परंपरा है। शास्त्रों में 96 प्रकार के तर्पण बताए गए हैं, लेकिन सोलह दिनों के तर्पण का विधान महत्वपूर्ण है। अगर किसी दिवंगत परिजन का बेटा नहीं हो तो बेटी भी तर्पण कर सकती है। इस तरह के अनुष्ठान को तन, मन, धन से सहयोग देकर सफल बनाना चाहिए।
कृष्णपुरा छत्री पर प्रतिदिन सैकड़ों साधक कर रहे अपने पितरों का तर्पण
इंदौर. कृष्णपुरा छत्री पर आयोजित 16 दिवसीय नि:शुल्क सर्वधर्म सामूहिक तर्पण महोत्सव में प्रतिदिन सैकड़ों साधक पहुंचकर ज्ञात, अज्ञात व अपने पितरों का तर्पण कर रहे हैं। महोत्सव में विद्वान पंडितों के साथ-साथ शहर के गणमान्य नागरिक भी भाग ले रहे हैं। रविवार को आचार्य पं. मनोज भार्गव ने सभी साधकों को तर्पण का महत्व बताते भी बताया। इंदौर सेवा ट्रस्ट के संरक्षक पं. योगेंद्र महंत, अनंत महंत ने बताया कि गिरनार गुजरात से आए संत आशुतोष गिरी, नागा बाबा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। रविवार को आरती में अशोक पंडित, विजय बोरखा, राधेश्याम व्यास शामिल हुए। वहीं 300 साधकों ने ज्ञात-अज्ञात दिवंगतों के साथ ही पितरों का तर्पण किया।