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वन विभाग का अजब खेल…फरार की शिकायत पर की कार्रवाई

दस्तावेजों में जिस व्यापारी की शिकायत पर कार्रवाई की वह फरार है अब इसके दस्तावेज सामने आने के बाद विभाग के अफसर अपनी गलती को छुपाने में लगे हैं

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Forest department indore

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इंदौर. वन विभाग में अफसरों पर कर्मचारियों के बीच चल रही रार के दौरान नए नए खेल सामने आ रहे हैं। वन विभाग ने 2 दिन पहले गोंद व्यापारी की शिकायत पर अपने कर्मचारियों पर ही कार्रवाई की थी। लेकिन विभाग के ही दस्तावेजों में जिस व्यापारी की शिकायत पर कार्रवाई की वह फरार है अब इसके दस्तावेज सामने आने के बाद विभाग के अफसर अपनी गलती को छुपाने में लगे हैं।
वन विभाग ने गोद व्यापारी राकेश उर्फ राहुल गुप्ता की शिकायत के आधार पर डिप्टी रेंजर श्याम गोहे, आशिष यादव, महेश सोनगरा ओर सुनील के खिलाफ कार्रवाई की थी। व्यापारी ने आरोप लगाया था कि वन विभाग के यह कर्मचारी उन्हें 20 हजार की रिश्वत के लिए परेशान कर रहे हैं और इसलिए उनके गोदाम पर छापा मारकर उनका पंचनामा बनाया है। वही विभाग के जो दस्तावेज सामने आए हैं उसमें गुप्ता पहले से ही विभाग के आरोपी बताए गए है और उनके खिलाफ फरारी में चालान भी वन विभाग ने कोर्ट के समक्ष पेश किया था। विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक 18 अगस्त 2020 को तिल्लोर में डिप्टी रेंजर के पद पर पदस्थ रहे गोहे और वन विभाग की टीम ने तेजाजी नगर चौराहे से एक गाड़ी एमपी 09 जीएच 2529 पकड़ी थी। जिसमे 250 किलो सलाई गोंद रखा था। ये गोंद यूनुस गांधी की तेजाजी नगर की दुकान पर ले जाया जा रहा था। गाड़ी में मौजूद ड्राइवर सुरेश और उसके साथ मौजूद दीपेश के पास गोंद के कोई दस्तावेज नहीं थे। जब टीम ने गाड़ी जप्त कर कार्रवाई की तो राकेश गुप्ता की ओर से एक बिल प्रस्तुत किया गया था जिसमें 18 तारीख को ही 2800 किलो गोंद बेचा गया था। जब इसकी जांच हुई तो खुद गुप्ता ने माना कि गांधी ने केवल उससे बिल मांगा था उससे गोंद नही मांगा था। इसलिए उसने बिल बना दिया था। इस मामले में वन विभाग ने ड्राइवर सुरेश, दीपेश के साथ ही यूनुस गांधी और राकेश गुप्ता के खिलाफ भी जैव विविधता के मामले में केस दर्ज किया था। इसको लेकर कोर्ट में जो चालान पेश किया था उसमें भी गुप्ता पेश नही हुआ था इसलिए फरारी मैं कोर्ट के सामने चालान पेश किया गया था। अपने ही विभाग के फरार व्यक्ति की शिकायत के आधार पर अफसरों द्वारा कार्यवाही करने का मामला सामने आने के बाद वन विभाग के अफसर खुद को बचाने में लग गए हैं। हालांकि सवाल यह खड़ा हो रहा है कि गुप्ता जब फरार थे तो टीम ने उन पर कार्रवाई उसी समय क्यों नहीं की और बाद में भी अफसरों ने शिकायत के समय भी उन्हें क्यों नहीं पकड़ा। इसको लेकर वन विभाग के आला अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। डीएफओ नरेंद्र पंडवा के मुताबिक व्यापारी के फरार होने के दस्तावेजो कि भी जांच कराई जा रही है। साथ ही उसकी जांच भी की जा रही है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर अफसर चुप हैं। गौरतलब है कि हफ्ते भर पहले भी गुरुनानक टिंबर मार्केट मैं वन विभाग की टीम द्वारा लकड़ी पकड़े जाने और उसके बाद वनकर्मी पर कार्रवाई की थी। उस समय भी वन विभाग के बड़े अधिकारियों की लकड़ी व्यापारियों से सांठगांठ की बात सामने आई थी।
कहानी कुछ और ही है
गोंद व्यापारी की जांच के लिए खुद डीएफओ द्वारा आदेश जारी किए जाने और टीम बनाए जाने के बाद उस पर कार्रवाई को लेकर विभाग में कुछ और ही जानकारी सामने आ रही है। विभाग से जुड़े सूत्रों की माने तो डिप्टी रेंजर ने पिछले दिनों एक गाड़ी पकड़ी थी जो मंत्री से जुड़े लोगों की होनी बताई गई थी उस समय जानकारी मिलने के बाद गाड़ी तो छूट गई थी लेकिन कार्रवाई करने वालों पर बड़े अफसर नाराज थे उसके चलते ही यह सब कुछ हुआ है।