
इंदौर।
प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर पर चार भूखंडों की सेल निकाली थी, लेकिन इसमें एक भी निवेशक नहीं आया। इसके पीछे सुपर कॉरिडोर का अधूरा विकास भी कारण है। सुपर कॉरिडोर पर अब तक 25 फीसदी विकास कार्य भी नहीं हो पाया है। आईडीए की माने तो यहां पूरी तरह विकास में अभी 10 साल और लगेंगे।
सुपर कॉरिडोर पर प्राधिकरण की दो प्रमुख योजनाएं 151 और 169 बी हैं। इन दोनों योजनाओं में कुल मिलाकर 70 बड़े भूखंड निकाले जाना हैं। कॉरिडोर पर अब तक पूरी जमीनें नहीं मिल पाई हैं। इसके चलते यहां विकास कार्य इतनी धीमी गति से चल रहे हैं कि 10 साल बीतने के बाद भी आईटी कंपनियों के कैंपस के अलावा और कुछ नजर नहीं आता है।
रेरा में दी रिपोर्ट
दोनों प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड हैं और 31 मार्च तक की प्रोग्रेस रिपोर्ट के अनुसार कॉरिडोर की दोनों योजनाओं में अब तक करीब 25 फीसदी विकास कार्य हुए हैं। शेष कामों में अभी मूल सुविधाएं जुटाना ही बड़ी चुनौती है। हालांकि प्राधिकरण ने रेरा में प्रोजेक्ट की शुरू होने की तारीख अप्रेल, 2007 घोषित की है और पूरी तरह विकास के लिए 243 महीने यानी 20 साल तीन महीने का समय मांगा है। प्राधिकरण के मुताबिक सभी विकास कार्य 2027 में पूरे होंगे।
यह है ताजा स्थिति
इन दोनों योजनाओं के विकास कार्यों में कुल मिलाकर ५५७ करोड़ रुपए खर्च होना हैं। प्राधिकरण अब तक यहां १३८ करोड़ के काम कर पाया है। काम की धीमी गति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिंसबर, 2017 तक की रिपोर्ट में यहां 128 करोड़ के यानी 23 फीसदी काम होना बताया गया था। तीन महीने में गाड़ी एक फीसदी और बढ़ी है। केवल 10 करोड़ के काम और हुए हैं।
खरीदार नहीं कर पाएंगे क्लेम
आईडीए की रिपोर्ट कहती है कि भले ही भूखंड आज बेच दिए जाएं, लेकिन ग्राहक इस आधार पर कोई क्लेम नहीं कर पाएगा कि उसे मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। क्योंकि इसके लिए प्राधिकरण पहले ही अपने हाथ बचाकर बैठा है।
Published on:
07 May 2018 12:00 pm
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