
सावधान स्वाइन फ्लू हुआ पहले से घातक, हर चौथे मरीज की मौत, ऐसे बचें इस जानलेवा बीमारी से
रणवीरसिंह कंग @ इंदौर. स्वाइन फ्लू के वायरस एच१एन१ ने इस वर्ष बीते साल के मुकाबले चार गुना ज्यादा घातक तरीके से वार किया है। एक माह के भीतर ही एक दर्जन मरीजों की पुष्टी हो चुकी है, इनमें से चार की मौत हो चुकी है। इस हिसाब से हर चौथा मरीज दम तोड़ रहा है।
आईडीएसपी प्रभारी डॉ. अमित मालाकार ने बताया, पिछले दिनों शहर से सात मरीजों के सेंपल जांच के लिए भोपाल एम्स भेजे गए हैं। 25 जनवरी तक कुल 85 संदिग्ध मरीजों के नमूनों की जांच कराई जा चुकी है।
इनमें से 12 को स्वाइन फ्लू की पुष्टी हुई है, पॉजिटिव मरीजों में से चार की इलाज के दौरान मौत हुई है। 21 मरीजों की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। वर्ष 2018 की बात करें तो जनवरी माह तक 18 संदिग्ध मरीजों के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे, एक महिला को स्वाइन फ्लू की पुष्टी हुई थी। इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई थी। सालभर में 28 मरीजों की पुष्टी हुई थी। इनमें से 9 मरीजों की मौत हुई थी।
मृतकों में 3 महिलाएं भी
17 जनवरी को 60 वर्षीय महिला, 19 जनवरी को 60 व 35 वर्षीय महिला और 22 जनवरी को 57 वर्षीय पुरुष मरीज की इलाज के दौरान निजी अस्पताल में मौत हुई। एक मामले को छोड़ तीनों में मौत होने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसका कारण भोपाल और जबलपुर में ही वायरोलॉजी लेब होने से प्रदेश भर के मरीजों का दबाव होना है। इंदौर में लंबे इंतजार के बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लेब को लेकर एक बार फिर कवायद शुरू हुई है, लेकिन इसे बनने में कितना वक्त लगेगा, यह जिम्मेदार बताने में असक्षम हैं।
बरतें ये सावधानी जरूरी
- खांसते व छींकते समय अपने कंधे की तरफ मुंह रखें।
- साबुन और पानी से बार बार हाथ धोएं।
- हाथ मिलाने और गले मिलने से बचें।
- संक्रमित व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल किये गए टिश्यू पेपर, रुमाल ,तौलिए व कपड़े इस्तेमाल ना करें।
- यदि आप सर्दी जुकाम से पीडि़त हैं तो डॉक्टर से सलाह लें।
तीन कैटेगरी में होते हैं यह लक्षण
- कैटेगरी ए: सर्दी-जुकाम और हलका बुखार, यह शुरुआती लक्षण है। समय रहते इलाज से मरीज की स्थिति गंभीर होने से बच सकती है।
- कैटेगरी बी: सांस लेने में थोड़ी तकलीफ, जी मचलना, त्वचा पर रेशे। सबसे ज्यादा प्रभावित गर्भवती महिलाएं व बच्चे होते हैं। इन्हें टेमीफ्लू दी जाती है।
- कैटेगरी सी: नाखून नीले होना , त्वचा पर चकते पडऩा, कफ के साथ खून आना, सांस लेने में दिक्कत। ऐसे मरीजों को भर्ती करना जरूरी होता है। अधिकतर मामलों में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
स्वाइन फ्लू का वायरस हर साल अपना प्रकार बदलता है। स्वाइन फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया जैसे वायरस की जांच के लिए नमूने भेजे जाते हैं, लेकिन सामान्य वायरस के नमूनों की जांच की व्यवस्था नहीं है। वायरस के प्रकार की जांच देश में एक दो शहरों में ही होती है। इस कारण प्रकार को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती। वायरस प्रकार बदलता रहता है, लेकिन उसके मुकाबले दवाएं अपडेट नहीं हो पाती।
डॉ. धमेन्द्र झंवर, मेडिसन विभाग एमजीएम मेडिकल कॉलेज
Published on:
28 Jan 2019 11:05 am
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