
जिस परिवार में परमात्मा का वास वही सुखी
इंदौर. जिस प्रकार हमारे परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, बेटे-बेटियों का स्थान होता है वैसे ही परमात्मा का भी होना जरूरी है। जिस परिवार में परमात्मा को स्थान मिलेगा वह परिवार कभी दु:खी नहीं रहेगा। हमारी इच्छाओं को कंट्रोल करना हमारे बस में नहीं, वह तो परमात्मा ही कर सकता है। जिस प्रकार हम बीमार होने पर डॉक्टर को याद करते हैं उसी प्रकार तकलीफ आने पर ही हम परमात्मा को जरूरत के समय याद करते हैं।
गुरुवार को छोटा बांगड़दा में हाइलिंक सिटी में धरणीधर पाश्र्वनाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित धर्मसभा में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए जैनाचार्य रत्नसुंदर सूरीश्वर महाराज ने उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा जीवन में अच्छी सोच व विचार के साथ मार्गदर्शक होना जरूरी है। अगर सकारात्मक सोच रहेगी और विचार अच्छे होंगे तो भटके हुए को सही राह का ज्ञान दे सकेंगे। विचार नदी की तरह निर्मल होना चाहिए। गुरु को हमेशा गुरु ही मानें, कभी परमात्मा का दर्जा न दें।
धरणीधर पाश्र्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पुण्डरीक पालरेचा व सचिव सुरेश बोथरा ने बताया, इसके पूर्व प्रात: 6 बजे एरोड्रम के सामने बनी राजबाड़ा की प्रतिकृति से रत्नसुंदर मसा का आदिठाना के साथ भव्य मंगल प्रवेश जुलूस निकला।
इस अवसर पर समाजजनों ने जगह-जगह आरती उतारी और जुलूस का स्वागत भी किया। जो मुख्य मार्ग से होकर हाइलिंक सिटी स्थित श्री धरणीधर पाश्र्वनाथ मंदिर पहुंचा। इस अवसर पर पद्मावती माता का अखंड दीप आचार्यश्री की निश्रा में प्रज्ज्वलित किया। इसका लाभ हिम्मत ओधव गांधी परिवार ने लिया। महाराजश्री ने भगवान के दर्शन आराधना कर धर्मसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित जैन समाजजनों ने काम्बली ओढ़ाई। इसमे कल्पक गांघी, शान्तु पालरेचा, डॉ प्रकाश बागानी, विशाल बम, विजय मेहता, मनीष सुराणा शामिल थे। सभा का संचालन व आभार प्रदर्शन शेखर गेलड़ा ने किया।
Updated on:
25 May 2019 04:11 pm
Published on:
24 May 2019 06:39 pm
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