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अहंकार से मुक्त होने की कथा कह गया मार्फोसिस

विश्व रंगमंच दिवस पर हिन्दी नाटक का मंचन

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इंदौर

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Hussain Ali

Mar 28, 2019

indore

अहंकार से मुक्त होने की कथा कह गया मार्फोसिस

इंदौर. विश्व रंगमंच दिवस पर शहर के नाटकप्रेमियों को एक बेहतरीन और सधे हुए नाटक को देखने की दावत मिली। सूत्रधार के संयोजन में प्रयास थ्रीडी के कलाकारों ने श्रीराम जोग के निर्देशन में ऋषिकेश वैद्य के नाटक मार्फोसिस का मंचन आनंद मोहन माथुर सभागृह में किया। यह पहला मौका था जब मराठी नाटकों के निर्देशक श्रीराम जोग ने एक हिन्दी रंग समूह के कलाकारों को निर्देशित किया। ऋषिकेश वैद्य का यह नाटक पिछले वर्ष दिल्ली सरकार की साहित्य कला परिषद द्वारा मोहन राकेश पुरस्कार से सम्मानित हो चुका हैै।

नाटक का नायक प्रसाद एक लोकप्रिय अभिनेता है पर अत्यधिक लोकप्रियता उसके अंदर अहंकार भर देती है। उसकी बातों से यह बार-बार झलकता भी है। एक दिन प्रसाद का एक मित्र चुनौती देता है कि वह एक बार दाऊ नामक एक वरिष्ठ नाट््य निर्देशक के साथ काम करे तभी पूर्ण अभिनेता बन पाएगा। इसके लिए उसे खुद ही दाऊ के पास जा का काम मांगना होगा। प्रसाद चुनौती स्वीकार करता है और दाऊ के पास जाता है। दाऊ उस वक्त मार्फोसिस नामक नाटक की तैयारी कर रहे होते हैं। वे उसे नाटक के नायक मानस का किरदार इस शर्त पर देते हैं कि उसे मानस के किरदार में पूरी तरह उतरने के लिए सारे निर्देश मानना पड़ेंगे।

दाऊ प्रसाद से रिहर्सल स्थल की झाड़ू लगवाता है। उसे वेश्या के पास भी भेजता है, एक रात मुर्दे के पास सुलाता है। यह सब दाऊ , प्रसाद के अहंकार को निकालने के लिए करता है। दाऊ की एक शिष्या दिशा से प्रसाद प्रेम करता है तो दाऊ दिशा को उससे दूर जाने को कहता है ताकि नायक को प्रेम की तड़प का भी अहसास हो। दाऊ एक तरह से उसकी अग्निपरीक्षा ही ले लेते हैं और एक दिन प्रसाद का अहंकार तो टूट जाता है लेकिन वह बीमार हो कर अस्पताल में भर्ती हो जाता है। हालांकि दाऊ को उसके बीमार होने का दुख भी है क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वे उसे पुत्रवत प्रेम भी करने लगते हैं।

एक बेहद गंभीर कथानक वाले नाटक को निर्देशक श्रीराम जोग ने कहीं भी बोझिल नहीं होने दिया और दर्शकों में जिज्ञासा बनी रही। नायक के रूप में नमन श्रीवास ने और दाऊ के किरदार में राघव ने अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी। दिशा के रूप में सौम्या व्यास का अभिनय भी सहज रहा। अन्य भूमिकाओं में शिवम जायसवाल, प्रतीक महाजन, शाकिर हुसैन, मोहित अग्रवाल, संचिता भावसार आदि ने भी अच्छा काम किया।बेहद सादी मंच सज्जा और कम स्टेज प्रॉपर्टी के बावजूद नाटक प्रभावी रहा।