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एमपी में 4-लेन होगी ये सड़क, मिलेगा जबरदस्त फायदा, मंजूरी का इंतजार

MP News: NHAI प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रवीण यादव के मुताबिक, बायपास की सर्विस रोड को फोर लेन करने का प्रस्ताव दिल्ली भेजा जा चुका है। जैसे ही वहां से अनुमति मिलेगी, वैसे ही काम शुरू हो जाएगी देंगे।

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4 lane bypass to be built in MP

4 lane bypass to be built in MP (फोटो सोर्स : पत्रिका)

MP News: इंदौर में ट्रैफिक के लिहाज से ओवरलोड बायपास की सर्विस रोड का दायरा बढ़ाकर फोर लेन(New Road) करने की योजना एक साल से सरकारी प्रक्रियाओं में उलझी हुई है। NHAI प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रवीण यादव के मुताबिक, बायपास की सर्विस रोड को फोर लेन करने का प्रस्ताव दिल्ली भेजा जा चुका है। जैसे ही वहां से अनुमति मिलेगी, वैसे ही काम शुरू हो जाएगी देंगे। इससे लाखों लोगों को फायदा होगा। दरअसल, सड़क चौड़ी करने के लिए 45 मीटर बफर जोन के उपयोग की अनुमति के नोटिफिकेशन में समय लगने के बाद एनएचएआइ दिल्ली मुख्यालय से डीपीआर की अनुमति के लिए 6 माह से पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिल सकी है।

फोर लेन करना जरूरी

बायपास पर हर दिन ट्रैफिक जाम होना आम बात है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने एक साल पहले बायपास का पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) अधिक पाया है। बायपास का पीसीयू 60 हजार है। ऐसे में दो लेन सर्विस रोड को फोर लेन करना जरूरी है। शहर में हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हो रहे हैं। ऐसे में बायपास पर शहर के वाहनों के साथ बाहरी वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। अधिकारियों के अनुसार, बायपास पर वाहनों का पीसीयू 60 हजार पार करना क्षमता से अधिक है।

2010 में थी 4 लेन

2010 में बायपास 4 लेन था। बाद में इसे 6 लेन किया गया। 2010 में बायपास का पीसीयू 10 से 20 हजार था। बायपास अमूमन बाहरी वाहनों का दबाव कम करने के लिए होता है, लेकिन बढ़ते इंदौर के बायपास से अर्बन बेल्ट भी जुड़ गया है। बायपास पर 60 नई कॉलोनियों से भी ट्रैफिक का दबाव बढ़ा है।

सर्विस रोड से मिलेगी राहत

बायपास के ओवरलोड होने की स्थिति में एनएचएआइ दो लेन की 35 किमी की सर्विस रोड को 4 लेन करने जा रहा है। इसके लिए बायपास के किनारे दोनों ओर के 45-45 मीटर के बफर जोन का उपयोग किया जाना है। इसमें 22.25 में दो लेन सर्विस रोड बनाई जानी है। बाकी की 22.25 मीटर जमीन का भूमि मालिक मिश्रित उपयोग कर सकते हैं। बफर जोन के भूमि उपयोग की अनुमति के पहले इसका निर्माण नगर निगम को करना था, लेकिन बाद में निगम ने हाथ खींच लिए। इसके बाद बफर जोन की 45 मीटर की जमीन के उपयोग की अनुमति राज्य शासन ने दी। इसमें भी समय लगा और गेंद एनएचएआइ के पाले में आने के बाद राशि, डीपीआर आदि के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से 6 माह में दो बार पत्राचार के बाद भी हल नहीं निकल सका है।