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डायरी पर प्लॉट खरीदने वालों को अब पड़ रहा है रोना

नकद रुपयों वाली डायरी को जालसाज बता रहे हैं फर्जी, चेक से आने वाली किश्त को बता रहे असली

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डायरी पर प्लॉट खरीदने वालों को अब पड़ रहा है रोना

डायरी पर प्लॉट खरीदने वालों को अब पड़ रहा है रोना

इंदौर। डायरी पर प्लॉट खरीदने वालों को सौदा महंगा पड़ गया। चंपू, चिराग और अन्य जमीन के जालसाजों ने हाई कोर्ट की कमेटी को लिखित में जवाब दिया है कि डायरी फर्जी है। उन डायरियों को ही वह असली बता रहे हैं जिनके पैसे बैंक खाते के जरिए उन्हें मिले थे। जवाब की जानकारी लगते है पीडि़तों में हड़कंप मचा हुआ है।

जमीन के जालसाज चंपू अजमेरा, निलेश अजमेरा, चिराग शाह, हैप्पी धवन सहित अन्य की डेढ़ साल पहले सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत हुई थी। जालसाजों के छूटने का आधार जिला प्रशासन की वह रिपोर्ट थी जिसमें उन्होंने समन्वय करके पीडि़तों को प्लॉट दिलाने की बात कही थी। समय सीमा निकल गई और प्लॉट नहीं मिले तो पीडि़तों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया।

न्यायमूर्ति सबोध अभ्यंकर ने सुनवाई करने के बाद पूर्व न्यायमूर्ति ईश्वरसिंह श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी ने कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स और सेटेलाइट हिल्स को एक एक सप्ताह देकर सुनवाई की गई। पीडि़तों ने छह-छह कॉपियों में अपनी शिकायत दर्ज कराई।

अब माफिया कमेटी की सभी शिकायतों पर जवाब दे रहे हैं। इसमें एक चौंकाने वाली कहानी ये निकलकर सामने आई है कि जालसाजों ने अधिकांश डायरियों को फर्जी बता दिया। कहना है कि ये डायरी उन्होंने नहीं बनाई, पूरी तरह से फर्जी हैं। कुछ डायरियों को उनकी ओर से जारी किए जाने की बात भी स्वीकार की। पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही है। सच्चाई तो ये है कि नकद राशि लेने वाली सभी डायरियों को जालसाजों ने फर्जी बता दिया है। उन्हें ही वह स्वीकार कर रहे हैं जिसमें प्लॉटधारी ने चेक या बैंक के माध्यम जे जमा कराए थे।

तकनीकी तौर पर पीडि़तों के पास रिकॉर्ड है जिसकी वजह से उसे मजबूरी में स्वीकार भी करना पड़ रहा है। इधर, पीडि़तों को भी इस बात की जानकारी लगी तो वे भी अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि सभी डायरियों व उनकी लिखावट व हस्ताक्षर का मिलान करा लिया जाएगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। साथ में ये भी कहना है कि डायरी के फर्जी होने की बात करने वाले जालसाजों ने आज तक किसी थाने पर उसकी शिकायत नहीं की।

दबाव बनाकर नकद में सेटलमेंट
जमीन के जालसाजों के इस खेल के पीछे की नई कहानी भी सामने आई है। जालसाजों के जवाब की जानकारी मिलते ही नकद जमा करने वाले डायरीधारियों में हड़कंप मच गया। ऐसा करके वे ओने-पौने दाम देकर मामले का पटाक्षेप कर ले जबकि कायदे से उन्हें तो प्लॉट ही देना पड़ेगा।

बड़े पैमाने पर हो रहा कारोबार
जमीन के जालसाजों को बड़े-बड़े कांड उजागर होने के बावजूद डायरी पर जमीन का कारोबार आज भी फल -फूल रहा है। जिला प्रशासन की टीम आंख मूंदकर बैठी हुई है, जबकि कलेक्टर रहे मनीष सिंह ने डायरी पर प्लॉट की खरीद-फरोख्त पर सख्ती से रोक लगा दी थी। उनके जाते ही डायरी का कारोबार फिर से पूरे शबाब पर आ गया है। सुपर कॉरिडोर की तरफ की कॉलोनियां विकसित हो रही हैं जिनके प्लॉट डायरी पर बेचे जा रहे हैं। कालोनी नगर में रहने वाला एक किराना व्यापारी भी डायरी के बूते पर बड़ा कारोबार कर रहा है, जबकि वह दिवालिया निकाल चुका है। हाल ही में आयकर विभाग ने उसे पकड़कर घंटों कार्यालय पर बैठाकर रखा था