आदेश के तहत दिसंबर में होने वाली अंतिम वर्ष की परीक्षा में प्राइवेट छात्र शामिल नहीं हो पाएंगे। कुलपति ने राज्य शासन के 5 साल अवधि के नियम को आड़ बनाते हुए इन्हें अपात्र घोषित किया है। वे छात्र जिनका या तो अंतिम वर्ष बचा है या कोर्स पूरा होने के बाद पूरक विषय की परीक्षा देना बच गया है, वे भी परीक्षा में भाग नहीं ले पाएंगे। सबसे ज्यादा नुकसान उन प्राइवेट छात्रों का होगा, जिन्होंने पांच सेमेस्टर पूरे कर लिए हैं और वे अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा देने वाले थे। कुलपति के फैसले के खिलाफ एनएसयूआई के शिक्षा प्रभारी अभिजीत पांडे ने उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त से शिकायत की है। कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ का कहना है, 'उक्त निर्देश राज्य शासन ने पहले ही जारी कर दिए थे। हमने सिर्फ आदेश का पालन किया है।Ó