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आइआइटी-इंदौर से पीएचडी करने के लिए दो की जगह अब तीन रिसर्च पेपर जरूरी

प्रबंधन का तर्क - 95 फीसदी छात्र आसानी से पब्लिश करा लेते हैं दो पेपर रिसर्च स्कॉलर नियम में बदलावों से नाराज

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इंदौर

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jay dwivedi

Jan 06, 2020

आइआइटी-इंदौर से पीएचडी करने के लिए दो की जगह अब तीन रिसर्च पेपर जरूरी

आइआइटी-इंदौर से पीएचडी करने के लिए दो की जगह अब तीन रिसर्च पेपर जरूरी

इंदौर. आइआइटी (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), इंदौर ने पीएचडी नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इसके अनुसार अब जर्नल्स में तीन रिसर्च पेपर प्रकाशित होना जरूरी है। इससे पहले तक दो रिसर्च पेपर पर पीएचडी अवॉर्ड की जाती थी। इस नियम ने आइआइटी के रिसर्च स्कॉलर्स की परेशानी बढ़ा दी है। वे पेपर की संख्या बढ़ाने के लिए आइआइटी के तर्क को भी बेतुका बता रहे हैं। दरअसल, आइआइटी ने हवाला दिया है कि 95 फीसदी तक उम्मीदवार आसानी से रिसर्च पेपर पब्लिश करा लेते हैं इसलिए इनकी संख्या बढ़ाई जाना जरूरी है।

यूजीसी के नियमानुसार कम से कम एक रिसर्च पेपर जरूरी है। इंदौर सहित देश के कुछ आइआइटी ने रिसर्च का स्तर बढ़ाने के लिए दो पेपर जरूरी किए थे। पहली बार किसी संस्थान ने तीन रिसर्च पेपर की अनिवार्यता को हरी झंडी दी है। खास बात यह है कि यह नियम पूर्वप्रभावी रहेगा। यानी नियम मंजूर होने से पहले रजिस्टर्ड हो चुके रिसर्च स्कॉलर को भी तीन पेपर जरूरी हो गए हैं। इससे आइआइटी से पीएचडी करने वालों में नाराजगी है और वे इसका विरोध कर रहे हैं।

इंटरनेशनल कॉन्फे्रंस में पेपर प्रस्तुत करना भी मान्य नहीं

एक और बदलाव इंटरनेशनल कॉन्फे्रंस में पेपर प्रस्तुत करने को लेकर भी किया गया है। पीएचडी के लिए इसे मान्य किया जाता था जो अब नहीं होगा। इसे रिसर्च स्कॉलर नियमों का उल्लंघन बता रहे हैं। सीनेट बैठक में आइआइटी की ओर से जानकारी दी गई कि 95 फीसदी रिसर्च स्कॉलर आसानी से रिसर्च पेपर पब्लिश कराते है। इस पर पीएचडी करने वालों का कहना है कि पीएचडी की पात्रता के लिए प्रवेश परीक्षा में 50 फीसदी अंक जरूरी है। अगर, दो पेपर आसानी से पब्लिश होते हैं तो क्या आइआइटी अपने स्तर पर न्यूनतम अंक 50 फीसदी की जगह 60 या 70 फीसदी कर सकता है।

2016 में भी आया था प्रस्ताव

दो की जगह तीन पेपर पब्लिश करने का प्रस्ताव 2016 में भी आइआइटी की सीनेट बैठक में लाया जा चुका है। तब भी इसका विरोध हुआ था और बोर्ड ऑफ गवर्नर ने इसकी वजह पूछी थी। पिछले सीनेट में आइआइटी ने 95 फीसदी रिसर्च स्कॉलर का तर्क दिया और अब इसे लागू कर दिया गया है। इस लिहाज से 2015 और इसके बाद के सभी रजिस्टर्ड उम्मीदवारों को तीन पेपर पब्लिश किए बगैर पीएचडी अवॉर्ड नहीं होगी।

परेशानी बढ़ाने वाला है नया नियम

रिसर्च स्कॉलर ऑफ इंडिया (आरएसआई) के राष्ट्रीय समन्वयक निखिल गुप्ता का कहना है कि आइआइटी का नया नियम रिसर्च स्कॉलर्स की परेशानी बढ़ाने वाला है। जल्द ही एमएचआरडी तक परेशानी पहुंचाई जाएगी।