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वैक्सीन: पहले-दूसरे डोज में अव्वल लेकिन बूस्टर डोज मेंं फिसड्डी, युवाओं में नहीं रुचि

देश-दुनिया में कोरोना का कहर अभी थमा नहीं है। ऐसे में हमारे युवा अब लारपवाह नजर आने लगे हैं। लोगों ने कोविड प्रोटोकाल का पालन करना एक प्रकार से छाेड़़ दिया है, वहीं अब वैक्सीन का बूस्टर डोज लेने से भी गुरेज कर रहे हैं। उनकी यह लापरवाही कहीं भारी नहीं पड़ जाए, जबकि कोरोना की चौथी लहर की आशंका बरकरार है।

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वैक्सीन

वैक्सीन: पहले-दूसरे डोज में अव्वल लेकिन बूस्टर डोज मेंं फिसड्डी, युवाओं में नहीं रुचि

इंदौर ।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 अप्रैल से 18 से 59 साल आयु वर्ग के लिए निजी हॉस्पिटलों में सशुल्क बूस्टर डोज लगाए जाने की घोषणा की, लेकिन अब तक जिले में इस आयु वर्ग के 4,292 लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है। दूसरी ओर अब तक 15 से 17 वर्ष की आयु वर्ग में भी शत-प्रतिशत वैक्सीन के दोनों डोज नहीं लग पाए हैं। हालांकि ये अलग बात है कि हम वैक्सीन के मामले में प्रदेश में अव्वल हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव का एक मात्र हथियार वैक्सीन है। इंदौर में कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने कहर बरपाया था, जो किसी से छिपा नहीं है। इन दोनों लहरों के दौरान अस्पतालों में बेड खाली नहीं थे, दूसरी लहर में तो ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की सांसें उखड़ गई थीं। तीसरी लहर में संक्रमण अपना असर नहीं दिखा पाया।लोग संक्रमित हुए, लेकिन घरों पर सामान्य दवाओं से ही ठीक हो गए। हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी। यहां तक कि कोविड केयर सेंटर तक खाली रहे। विशेषज्ञों ने इसका श्रेय वैक्सीन को दिया, लेकिन इसके बाद भी हमारे युवा अब भी लापरवाह बने हुए हैं, वह भी तब, जब चौथी लहर का खतरा मंडरा रहा है।

पहला-दूसरा डोज लक्ष्य से अधिक

18 से अधिक आयु वर्ग के लोगों ने वैक्सीन का पहला और दूसरा डोज जरूर शत-प्रतिशत से अधिक लगवा लिया। पहला डोज 28,82,558 और दूसरा डोज 32,08,739 ने लिया है। पहला 111 प्रतिशत तो दूसरा 105 प्रतिशत तक पहुंच गया। वहीं बूस्टर डोज में लक्ष्य फिसड्डी है।

15 से 17 आयु वर्ग में पीछे

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि 3 जनवरी से शुरू हुए 15 से 17 वर्ष की आयु वर्ग के 1, 94, 753 किशोरों को पहला डोज लगाया जाना था, लेकिन अब तक केवल 1,59, 857 को ही लग पाया है। यानी 82 प्रतिशत ही पहला डोज ले पाए हैं। दूसरा डोज इस आयु वर्ग में 1,59, 857 को लगना था , लेकिन अब तक केवल 1,14, 671 को ही लग सका है यानी 72 प्रतिशत ही दूसरा डोज ले पाए हैं।

बूस्टर डोज में पीछे

प्रदेश में वैक्सीन के मामले में भले ही इंदौर अव्वल है, लेकिन 10 अप्रैल से बूस्टर डोज में लोगों की रुचि नजर नहीं आ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 साल से अधिक आयु वर्ग के लिए बूस्टर डोज सशुल्क कर दिया है। सरकारी की बजाय निजी हॉस्पिटल में वैक्सीन का डोज लगाया जा रहा है, लेकिन अब तक 18 से 44 की आयु वर्ग वालों में केवल 1456 और 45 से 59 की आयु वर्ग के 2836 ने ही बूस्टर डोज लिया है। वहीं 25, 956 हेल्थ वर्कर , 31,763 फ्रंट लाइन वर्कर और 60 साल से अधिक आयु वर्ग के 64,240 ने बूस्टर डोज लिया है। देखा जाए तो कुल 1,26, 251 लोगों ने ही अब तक बूस्टर डोज लिया है।

बच्चों में भी पीछे

23 मार्च से 12 से 14 साल की आयु वाले बच्चों को भी वैक्सीन लगाना शुरू किया गया है। इसमें पहला डोज 1,15,099 को लगाया जाना है, लेकिन अब तक केवल 77, 404 को ही लग पाया है। यानी 67 प्रतिशत ही लक्ष्य पाया गया। वहीं दूसरा डोज केवल 28 प्रतिशत को ही लग पाया है। यानी 77,404 को लगाया जाना था और केवल 21,613 को ही लगा।