
उपराष्ट्रपति बोले - मातृभाषा हमारी आंख और पराई भाषा चश्मे की तरह, क्या जरुरी है ये चयन आपका
इंदौर. धीरे-धीरे सबकुछ बदल रहा है। राजनैतिक विचारधारा में भी परिवर्तन आना जरूरी है। जनप्रतिनिधी और सरकार का चुनाव चार सी यानी कैरेक्टर (चरित्र), कैलिबर (बुद्धि का विस्तार), कैपेसिटी (क्षमता) और कंडक्ट (आचरण) के आधार पर होता था। अब कुछ लोगों ने इसे उल्टा कर दिया। राजनीति के नए चार सी कास्ट (जाति), कम्युनिटी (समाज), कैश (पैसा) और क्रिमिनालिटी (अपराधिक) हो गए। ये देश के लिए ठीक नहीं है। इसे बदलना होगा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गुरुवार को श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में यह बात कही। उन्होंने खुशी जताते हुए तीन बार इसी समारोह में आने का कार्यक्रम निरस्त करने पर माफी भी मांगी। उन्होंने कहा, शिक्षा से मनुष्य सभ्य, सुसंस्कृत और संस्कारित होता है। शिक्षा का मूख्य उद्देश्य सिर्फ ज्ञानार्जन ही नहीं बल्कि परिवार, समाज और देश की सेवा करना है। शिक्षा से मनुष्य देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनता है। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ नौकरी या स्वरोजगार भी जरूरी है। यह दीक्षांत समारोह आपके लिए दीक्षा का अंत नहीं बल्कि नई शुरुआत है।
शिक्षा, अस्पताल और राजनीति समाज सेवा के क्षेत्र हैं और समाज सेवा सभी धर्मों का सार है। श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट पिछले 135 साल से स्कूल, कॉलेज, अस्पताल व तकनीकी शिक्षा के माध्यम से नो प्रॉफिट, नो लॉस के फॉर्मूले पर सराहनीय कार्य कर रहा है। श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट देश के लिये एक आदर्श समाजसेवी संस्थान है। कार्यक्रम के विशेष अतिथि राज्यपाल लालजी टंडन, पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी, स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट, श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पुरुषोत्तम दास पसारी और कुलपति डॉ. उपिंदर धर ने भी संबोधित किया। समारोह में आठ टॉपरों को गोल्ड मैडल से भी नवाजा गया।
उपराष्ट्रपति नायडू ने विद्यार्थियों को शुभकामना देते हुए अपेक्षा की कि वे देश और दुनिया के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा, मैं कई दीक्षांत समारोह में जा चुका है। खुशी होती है कि हर जगह मेरिट में लड़कियां ज्यादा होती है। भारत सरकार भी महिलाओं को समाज के हर क्षेत्र में समुचित प्रतिनिधित्व देना चाहती है। शिक्षा का मूल उद्देश्य समाज सेवा और कौशल विकास होना चाहिये। कौशल विकास को हमें स्वच्छ भारत मिशन की तरह एक जनांदोलन बनाने की जरूरी है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्राचीन काल के नालंदा और तशक्षिला का उदाहरण देते हुए कहा कि इनकी बदौलत भारत विश्व गुरू था। हमारे यहां सुश्रुत, धनवंतरि, भास्कराचार्य और वाराहमिहिर जैसे मूर्धन्य विद्वान हुए हैं। आचार्य सुश्रत ने दुनिया को पहली बार सामान्य सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी की प्रक्रिया बताई। हमारा देश मुगलों और फिर अंग्रेजों का गुलाम हुआ और हम पिछड़ गए। मगर आज भारत की एक भी यूनिवर्सिटी टॉप १०० में नहीं है। सरकार, यूनिवर्सिटी, कॉलेज सभी की जिम्मेदारी बनती है कि एक बार फिर भारत को विश्व गुरू का दर्जा दिलाएं।
भारत में रहने वाला हर धर्म का व्यक्ति भारतीय
नायडू ने कहा कि देश के विकास के लिए राष्ट्रीय एकता मजबूत करने की जरूरत है। जो भारत में पैदा हुआ वह भारतीय है। कुछ जगह जाति, लिंग, धर्म, समाज के नाम पर अभी भी भेदभाव होता है। निरक्षरता और गरीबी बड़ी चुनौती है। आज भी करीब २० फीसदी जनसंख्या अनपढ़ है। इस देश में संत कबीर और संत तुकाराम जैसे लोगों ने भी जाति और धर्म के भेदभाव का विरोध किया था। उन्होंने कहा व्यक्ति से बड़ा परिवार, परिवार से बड़ा समाज और समाज से बड़ा देश होता है। राष्ट्रीय एकता मजबूत करने के लिए जातिवाद, सम्प्रदायवाद, धन लोलुपता और अपराध को समाप्त करना होगा। नायडू ने कुछ यूनिवर्सिटी में हो रही गतिविधियों पर चिंता जताते हुए कहा कि कहीं पर अफजल गुरु के समर्थन में नारे लगाए जाते है। खाने की आजादी जैसी बातों पर विवाद करते है। कभी बीफ फेस्टिवल तो कभी किस फेस्टिवल को मु²ा बना लेते है। ऐसे लोगों को जो करना है वह करें मगर इसे सार्वजनिक करने की क्या जरूरत है।
हमारी आंखों की तरह है मातृभाषा
नायडू ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई में मातृभाषा को अनिवार्य करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि मैं किसी भाषा का विरोध नहीं कर रहा लेकिन, हर एक को अपनी मातृभाषा का ज्ञान होना चाहिए क्योंकि भाषा और भावना एक साथ चलती है। मातृभाषा हमारी आंख की तरह है और पराई भाषा चश्मे की तरह। उन्होंने युवाओं से अपील की कि हमेशा अपने माता-पिता और गुरू का सम्मान करें, पैतृक स्थान को कभी न भूलें। वृक्षारोपण और पशुओं की रक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। देश की बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए जल संरक्षण और जल संवर्धन जरूरी है। मनुष्य एयर कंडिशन के बजाय प्राकृतिक वातावरण में ज्यादा स्वस्थ रहेगा और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्?थ मन रहता है।सूर्य नमस्कार से दिक्कत है तो करो चंद्र नमस्कार
नायडू ने फिजिकल फिटनेस और मेंटल अलर्टनेस की जरूरत बताई और कहा कि पाश्चात्य जीवनशैली, टीवी के कारण सेहत बिगड़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। पिछली 21 जून को 176 देशों द्वारा एक साथ योगाभ्यास किया गया। चिली और ग्वाटेमाला में योग को अनिवार्य शिक्षा घोषित किया गया है। लेकिन, कई लोगों को योग से आपत्ति है। कोई पूछता है कि योग से क्या होगा तो कोई कहता है कि वे सुबह जल्दी नहीं उठ पाते। अगर सूर्य नमस्कार से दिक्कत है तो चंद्र नमस्कार कर लो। यो जरूरी है क्योंकि इससे शरीर और मन स्वस्थ रहता है। पिज्जा, बर्गर जैसे फास्टफूड से नई-नई बीमारियां हो रही है। उन्होंने इसके बजाय खान-पान में सीजनल और नॉर्मल आहार लेने की सीख दी। उन्होंने कहा कि इंदौर स्वच्छता व खानपान के साथ शिक्षा और समाजसेवा में भी नंबर वन है। यहां की अच्छाइयाँ पूरी दुनिया में फैलाने की जरूरत है। आजकल फास्ट फूड का जमाना है।
शून्य से परमाणु तक हर खोज भारत की
राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि दीक्षांत समारोह प्राचीन भारत की परंपरा है। पहले ऋषि शिक्षा दिया करते थे। आज ज्ञान, विज्ञान, टेक्नोलॉजी जो भी है वह भारत की देन है। हमने दुनिया को शून्य, मेडिकल साइंस, अणु-परमाणु बताया। पहले अर्थशास्त्री चाणक्य भारत के थे। हमारी दृष्टि प्राचीन भारत की उपलब्धियों को ध्यान रखते हुए भविष्य की ओर होना चाहिए। पूर्व लोकसभा स्पीकर महाजन ने शिक्षा सहित सामजिक क्षेत्र में श्री वैष्णव सहायक ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि पूरे देश को इससे सीख लेना चाहिए। डॉ.धर ने बताया, श्री वैष्णव यूनिवर्सिटी में हर वर्ग के छात्रों को मेरिट के आधार पर एडमिशन दिए जाते है। पिछले साल ५१ लाख ५१ हजार रुपए की स्कॉलरशिप दी गई थी
Published on:
09 Aug 2019 01:02 pm
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