
VIDEO : मेहंदी रचाकर दुल्हन की तरह आई सिमरन फिर सांसरिक चीजें लुटाकर बनी साध्वी गौतमी
इंदौर. बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में सोमवार को हरियाणा की 22 वर्षीय सिमरन जैन ने सांसारिक सुखों को त्याग कर वैराग्य का मार्ग अपनाया। सुबह साढ़े 9 बजे सिमरन की दीक्षा शुरू हुई। दीक्षा विधि उपप्रवर्तक गौतम मुनि, सिद्धार्थ मुनि, वैभव मुनि, डॉ. पुनीत ज्योति, डॉ. मुक्ता, आदर्श ज्योति के सान्निध्य में संपन्न हुई। इसके बाद सिमरन को नया नाम मिला साध्वी गौतमी। इससे पहले सुबह साढ़े 8 बजे महावीर भवन इमली बाजार से वरघोड़ा निकाला गया। इसमें समाज के साथ हरियाणा से आए सिमरन के परिजन शामिल थे।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित दीक्षा महोत्सव में सबसे पहले महा निष्क्रमण यात्रा में इमली बाजार से वरघोड़ा निकाला गया। वरघोड़ा में सिमरन सांसारिक वस्तुओं को लुटाते हुए चल रही थीं। वरघोड़ा इमली बाजार से शुरू होकर अलग-अलग मार्गों से होते हुए दीक्षा स्थल पहुंचा। वरघोड़ा के लाभार्थी पद्मचंद्र तांतेड़ और सिमरन के धर्म के माता-पिता अभय मधुलिका मधुबन बने। इसके पहले रविवार को सिमरन ने हाथों पर मेहंदी रचाई अपनी पसंद का खाना खाया और परिजन के साथ वक्त बिताया। गुरुजनों के सानिध्य में आई तो मिला सकून: दीक्षा को लेकर उन्होंने कहा, जब मैं गुरुजनों के सानिध्य में आई तब जाकर सुकून की प्राप्ति हुई। वैराग्य की राह काफी मुश्किल है, देशभर में घूमी, खूबसूरत स्थान पर गई पर सुकून नहीं मिला। मुझे साध्वी डॉ. मुक्ताश्रीजी से संयम की प्रेरणा मिली।
कैश लोचन सहित अन्य विधियां हुईं
वरघोड़ा एमजी रोड, गांधी हाल, यशवंत निवास रोड, रेसकोर्स रोड होते हुए बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स पहुंचा, जहां वैरागिन सिमरन ने समस्त वस्तुओं का त्याग कर श्वेत वस्त्र धारण कर पांडाल में उपस्थित हुईं तो सारा पांडाल जिनशासन की जयकारों से गूंज उठा। आज्ञा विधि, कैश लोचन सहित अन्य विधियां हुईं। उपप्रवर्तक गौतम मुनि महाराज ने जैन भागवती दीक्षा का पाठ पढ़ाया। संघ अध्यक्ष नेमनाथ जैन ने वैरागिन के माता-पिता का सम्मान किया। स्वागत भाषण देते हुए संघ महामंत्री रमेश भंडारी ने कहा, दीक्षा जीवन का नया स्वरूप है।
सिमरन का वैराग्य... साध्वी गौतमी
बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स में ऐशो आराम छोडक़र वैराग्य की राह पर आगे बढ़ी पानीपत (हरियाणा) की 22 वर्षीय सिमरन ने सोमवार को जैन भगवत दीक्षा लेकर साध्वी गौतमी के रूप में नवजीवन में प्रवेश किया। श्वेतांबर जैन समाज में पहली बार प्री वेडिंग फोटोशूट की तर्ज पर सिमरन ने प्री-दीक्षा फोटोशूट कराया। परिवार में माता-पिता, एक बहन और दो भाई हैं। बहन मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। सिमरन ने पुणे से बीएससी (कम्प्यूटर साइंस) किया है। पिता के पानीपत में फाइनेंस के साथ अन्य व्यवसाय भी हैं।
अभिनय का शौक - सिमरन धार्मिक नृत्य-नाटिकाओं में अभिनय करती थी। उसका अभिनय देखकर सभी कहते थे वह अभिनेत्री बनेगी, टीवी, सीरियल में काम करेगी।
टर्निंग पॉइंट : बचपन से ही बुआ साध्वी मुक्ताश्रीजी की तरह बनना चाहती थी, मेरे पिता नहीं चाहते थे मैं साध्वी जीवन अपनाऊं। हम दोनों बहनें छुट्टियों में बुआ के पास जाती थीं। एक बार दोनों को बुखार आ गया, तो बहन रो-रोकर घर जाने की जिद करने लगी, लेकिन मैंने कहा, यहीं रहूंगी। इससे इच्छाशक्ति दृढ़ हुई। इसके बाद चार साल होस्टल में रही। इस दौरान साथियों को भौतिक जरूरतों के आगे झुकते देख वैराग्य की प्रेरणा मिली।
संयम की प्रेरणा मिली
जब मैं गुरुजनों के सानिध्य में आई तब जाकर सुकून की प्राप्ति हुई। वैराग्य की राह बहुत मुश्किल है, देशभर में घूमी, खूबसूरत स्थानों पर भी गई, लेकिन सुकून नहीं मिला। मुझे चकाचौंध भरी लाइफ रास नहीं आई। मुझे साध्वी डॉ. मुक्ताश्रीजी से संयम की प्रेरणा मिली।
साध्वी गौतमी : गर्भ में थी तब जताई थी इच्छा
- सिमरन जब गर्भ में थी, तभी मैंने भैया-भाभी से इच्छा जताई थी कि उसे आत्मकल्याण के लिए दीक्षा दिलाना। मुमुक्षु सिमरन विनयशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली लडक़ी है। हर बात वैज्ञानिक ढंग से ग्रहण करती है। वैराग्यकाल दो वर्ष का है। गुरु भगवंत और परिवार की आज्ञा से आत्मकल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ रही है।
महासती डॉ. मुक्ताश्री, सिमरन की सांसारिक बुआ
इच्छानुरूप जीने की छूट
- हमने दोनों बेटियों को अपनी इच्छानुरूप जीने की अनुमति दी है। हमने सोच था कि पढ़ाने-लिखाने के बाद कॅरियर बनाएंगे या शादी करेंगे, लेकिन सिमरन की इच्छा दीक्षा लेने की थी। हमने उसकी इच्छा का सम्मान किया।
अशोक गौड़, सिमरन के पिता
Updated on:
22 Jan 2019 05:37 pm
Published on:
22 Jan 2019 11:58 am
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