
इंदौर. डार्क जोन में शामिल होने के बाद भी शहर में मनमाने ढंग से बोरिंग की अनुमति दी जा रही है। दो महीने में ही अफसरों ने 180 से ज्यादा बोरिंग की अनुमति जारी की है। बीच में अफसरों ने गली निकालने की कोशिश की थी कि जिन क्षेत्रों में नर्मदा लाइन है, वहां अनुमति नहीं दे जाएगी, लेकिन इसका भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए भू जल सर्वेक्षण विभाग ने शहर को डार्क जोन घोषित किया है। इसके बाद बोरिंग पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी। बावजूद इसके नेताओं के दबाव में फिर धड़ल्ले से धरती का सीना छलनी किया जा रहा है। जनवरी में बोरिंग अनुमति के लिए समिति बना एसडीएम को अधिकार सौंपे गए थे। बोरिंग के लिए आवेदन कलेक्टोरेट में दिया जाता है, लेकिन एनओसी नगर निगम जारी करता है। निगम की टीम को यह देखना होता है कि जहां अनुमति मांगी गई है, वहां नर्मदा का पानी सप्लाय हो रहा या नहीं? निगम जो रिपोर्ट देता है, उस आधार पर ही एसडीएम अनुमति जारी करते हैं। कलेक्टोरेट के रिकॉर्ड के अनुसार, फरवरी व मार्च में बोरिंग के लिए 500 आवेदन आए और उसमें से 180 की अनुमति जारी कर दी गई।
एक दिन में 7 अनुमति
180 बोरिंग की अनुमति नर्मदा लाइन वाले स्थान पर दी है। गुरुवार को लसूडिय़ा थाने में बोरिंग की 7 अनुमति मिली। ज्यादातर बोरिंग स्कीम 114 पार्ट वन में हुए। यहां नर्मदा पाइप लाइन है। गुरुवार को तीन बोरिंग हुए। लोगों ने शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस का तर्क है, जब अनुमति है तो कैसे रोकें?
मिल रहा नर्मदा जल
महालक्ष्मी नगर में भी नर्मदा लाइन है, लेकिन वहां भी जमकर बोरिंग की अनुमति दी जा रही। बाणगंगा में दो दिन पहले बोरिंग हुए, वहां भी नर्मदा लाइन है, लेकिन अनुमति जारी हो गई। पाटनीपुरा मेनरोड, भोलाराम उस्ताद मार्ग, स्कीम नं. 54 में बोरिंग की अनुमति दी गई। सभी जगह नर्मदा लाइन डली हुई है और पानी सप्लाय हो रहा है।
पता करेंगे कैसे जारी हुई अनुमति
हम तो निगम की एनओसी पर देते हैं अनुमति
- जहां नर्मदा का पानी सप्लाय होता है, वहां बोरिंग की अनुमति देने का प्रावधान नहीं है। नर्मदा पाइप लाइन नगर निगम ने डाली है, इसलिए उनसे रिपोर्ट मांगी जाती है। निगम एनओसी देता है तो हम अनुमति देते हैं। स्कीम 114 व महालक्ष्मी नगर, जहां नर्मदा है वहां बोरिंग की अनुमति कैसे जारी हुई, हम पता करेंगे।
- सोहन कनाश, एसडीएम कनाडिय़ा
जहां नर्मदा है वहां नहीं देते एनओसी
- बोरिंग की अनुमति देने में नर्मदा के पानी सप्लाय की जांच की जाती है। अगर नर्मदा का पानी सप्लाय हो रहा है तो आवेदन पर नॉट रिक्मेंट लिखते हैं। अनुमति प्रशासन जारी करता है, हम नहीं। वैसे भी दो महीने में मेरे पास 300 आवेदन आए, जिसमें से 60-70 में ही अनुमति दी गई है।
- संदीप सोनी, उपायुक्त जलप्रदाय
अनुमति के मामले चेक करेंगे
- नगर निगम की रिपोर्ट के बाद ही बोरिंग की अनुमति जारी होती है। अनुमति देने वालों को इसकी ट्रेनिंग भी दी गई है। इसके बाद भी कुछ गड़बड़ी की बात आ रही है तो हम चेक कराकर कार्रवाई करेंगे।
- लोकेश जाटव, कलेक्टर
Published on:
13 Apr 2019 01:37 pm
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