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देश में देरी से चल रहे 403 Infra Projects पर बढ़ गया है 4 लाख करोड़ रुपए का बोझ

देश में 150 करोड़ से ज्यादा बजट के के 403 इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में चल रही है देरी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार लागत में 4.05 लाख करोड़ का इजाफा

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Infra Projects

403 infra projects in country have increased burden of Rs 4 lakh crore

नई दिल्ली। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ( Ministry of Statistics and Programme Implementation ) की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में 150 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा के बजट के 403 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स ( Infrastructure Projects ) में देरी होने के कारण उन पर अतिरिक्त 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बोझ बढ़ गया है। इसका मतलब ये हुआ है कि प्रोजेक्ट्स समय पर पूरा होने के चलते इनके बजट में इजाफा हो गया हैै। मंत्रालय के अनुसार इसमें देरी के अलावा दूसरी वजह भी हैं। जिसमें समय पर जमीन अधिग्रहण ना हो पाना भी शामिल है। आइए आपको भी बताते हैं कि मंत्रालय की ओर से किस तरह के आंकड़े पेश किए गए हैं।

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मंत्रालय की ओर से जारी हुए आंकड़े
- देश में इंफ्रा से रिलेटिड कुल प्रोजेक्ट्स की संख्या 1686।
- करीब 530 प्रोजेक्ट्स में देरी से चल रहा है काम।
- 403 परियोजनाओं के बजट में हो गया है इजाफा।
- 1,686 प्रोजेक्ट्स का मूल बजट 20,66,771.94 करोड़ रुपए था।
- मौजूदा समय में इन प्रोजेक्ट्स का बजट बढ़कर 24,71,947.66 करोड़ रुपए होने का अनुमान।
- यानी मूल बजट में हो गया है 4,05,175.72 करोड़ रुपए का इजाफा।

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जानिए किना हो चुका है खर्च
- मार्च 2020 तक इन प्रोजेक्ट्स पर हो चुका है 11,20,696.16 करोड़ रुपए खर्च।
- यानी कुल अनुमानित बजट का 45.34 फीसदी बजट खर्च हो चुका है।
- मंत्रालय के अनुसार टाइम लिमिट के हिसाब से लेट प्रोजेक्ट्स की संख्या 452 पर आने के आसार।
- 530 प्रोजेक्ट्स में 155 में चल रही है 12 महीने तक की औसत देरीह।
- 114 प्रोजेक्ट्स में देखने को मिल रही है 24 महीने की औसत देरी।
- 148 प्रोजेक्ट्स में 60 महीने तक की औसत देरी।
- 113प्रोजेक्ट्स में देखने को मिल रही है 61 महीने से ज्यादा की देरी।

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क्या है इन प्रोजेक्ट्स में देरी के कारण
- भू-अधिग्रहण में विलंब।
- पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरी ना मिलना।
- बुनियादी संरचना की कमी।
- प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग में देरी।
- प्रोजेक्ट्स की संभावना में बदलाव।
- टेंडर प्रोसेस में देरी।
- ठेका देने देरी।
- प्रोजेक्ट इक्विपमेंट्स को मंगाने में देरी।
- लैंड यूज चेंज करने में देरी।