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मोदी की मंजूरी के बाद भी S-400 डील टालना चाहते थे अजीत डोभाल

Published: Oct 06, 2018 12:59:45 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एस-400 अनुबंध पर हस्ताक्षर को अभी स्थगित करने के पक्ष में थे।

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मोदी की मंजूरी के बाद भी S-400 डील टालना चाहते थे अजीत डोभाल

नर्इ दिल्ली। शुक्रवार को रूस आैर भारत के बीच 43 बिलियन डॉलर के S-400 मिसाइल की डील हो गर्इ। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन आैर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुर्इ इस डील के बारे में दोनों ही मीडिया के सामने ज्यादा बातचीत नहीं की। लेकिन अब जो इस डील को लेकर बात सामने आर्इ है वो वाकर्इ चौंकाने वाली है। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस डील को लेकर आश्वस्त नहीं है। खास बात ये है कि पीएम मोदी की मंजूरी के बाद भी अजीत डोभाल इस डील को टालना चाहते थे। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर माजरा क्या है?

डोभाल को मिली थी अमरीका से चेतावनी
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार एस-400 की खरीद का फेवर किया है। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एस-400 अनुबंध पर हस्ताक्षर को अभी स्थगित करने के पक्ष में थे। बात यह भी थी कि सितंबर में हुर्इ उनकी अमरीकी यात्रा के दौरान अमरीकी अधिकारियों सचिव माइक पोम्पे, रक्षा सचिव जेम्स मैटिस और अमरीकी एनएसए जॉन बोल्टन ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत एस-400 डील साइन करते हैं तो उसे काउंटरिंग अमेरिकाज एडवाइजरीज थ्रू सैंक्सन्स एक्ट (सीएएटीएसए) के अंतर्गत लाया जा सकता है।

इसलिए डील टालना चाहते थे डोभाल
वास्तव में सीएएटीएसए के अंतर्गत अमरीका ने रूस, ईरान और उत्तर कोरिया की रक्षा और खुफिया एंजेसियों के साथ लेनदेन में शामिल देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जा सकता है। वहीं भारत और वियतनाम जैसे करीबी दोस्तों को इस अधिनियम से मुक्त करने के लिए अमरीकी कांग्रेस ने एक छूट का भी प्रावधान किया गया था। उस मीटिंग में डोभाल को यह कहा गया था कि भारत के इस डील को करने के बाद भूल जाए कि डोनाल्ड ट्रम्प किसी छूट का आह्वान कर सकते हैं। अमरीका से वापस आने के बाद डोभाल ने मॉस्को की रक्षा निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनॉक्सपोर्ट के एक शीर्ष प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात भी की। डोभाल ने इस डील पर अपनी प्रक्रिया भी जाहिर की थी।

24 महीने में शुरू हो जाएगी डिलीवरी
बुधवार को एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि अगर रक्षा मंत्रालय अनुबंध पर हस्ताक्षर करता है, तो एस -400 सिस्टम की डिलीवरी 24 महीने में शुरू हो जाएगी। अक्टूबर 2016 में दोनों देशों ने एस -400 सिस्टम के लिए इंटर-गवर्नमेंट एग्रीमेंट्स पर बातचीत शुरूआत की थी। यानी इस डील को साइन करने में भी मोदी सरकार को दाे साल लग गए। वहीं सरकार पर इस डील साइन करना भी जरूरी था ताकि अपनी सेना को मजबूत किया जा सके।

दुनिया की सबसे बेहतरीन रक्षा प्रणाली है S-400
एस-400 मिसाइल प्रणाली दुनिया की सबसे बेहतरीन रक्षा प्रणालियों में मानी जाती है। रूस इसका इस्तेमाल पिछले करीब 11 सालों से कर रहा है। S-400 की सबसे बड़ी खासियत है कि यह मिसाइल 400 किलोमीटर के क्षेत्र में दुश्मन के विमान, मिसाइल और ड्रोन को भी नष्ट कर सकता है। खास बात यह है कि अमरी के सबसे घातक फाइटर जेट F-35 को भी मात देने में सक्षम हैं। इस प्रणाली से एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इसमें 72 मिसाइलें आती हैं, जो 36 लक्ष्यों भेदने में सक्षम है।

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