scriptआर्टिकल 370 हटने के बाद विकास की राह पर चल पड़ा जम्मू-कश्मीर, अमूल करेगा दूध का कारोबार | Amul to Make investment in Jammu Kashmir after article 370 scrapped | Patrika News

आर्टिकल 370 हटने के बाद विकास की राह पर चल पड़ा जम्मू-कश्मीर, अमूल करेगा दूध का कारोबार

locationनई दिल्लीPublished: Aug 06, 2019 05:51:31 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में जगी डेयरी उद्योग की उम्मीद।
जम्मू-कश्मीर में अब दूध के क्षेत्र में निवेश करेगा अमूल।
कॉपरेटिव मॉडल के तहत दूध प्रोसेसिंग व मार्केटिंग का होगा काम।

Amul India

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब घाटी में निवेश और विकास का रास्ता खुलने के आसार दिखाई देने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर में अब दूध के क्षेत्र में निवेश करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके लिए गुजरात कॉपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने कहा है कि वो सरकार को पूरा सहयोग करेगी। यही फेडरेशन अपने मिल्क प्रोडक्ट को अमूल के तहत देशभर में बेचता है।

हाल ही में इस फेडरेशन के प्रबंधकों ने कश्मीर के राज्यपाल से मुलाकात भी की है। ऐसे में अब केंद्र सरकार के इस कदम के बाद कश्मीर में डेयरी उद्योग को लेकर एक नई उम्मीद जगती हुई दिखाई दे रही है।

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क्यों विकसित नहीं हुआ कश्मीर में डेयर प्रोडक्ट का कारोबार ?

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कश्मीर के कई उच्चस्तरीय अधिकारियों से बातचीत कर कश्मीर में डेयरी क्षेत्र के लिए तकनीक सपोर्ट के साथ ही प्रबंधन एवं दूध खरीदारी सिस्टम को डेवलप करने की इच्छ जताई है। मौजूदा समय में कश्मीर में इस क्षेत्र में कुछ विकास नहीं हुआ है और इससे जुड़े लोगों की संख्या भी कम है। दरअसल, कश्मीर में दूध उत्पादन की लागत बहुत अधिक और निजी कंपनियों को दूध उत्पादकों से मुकाबला करना पड़ता है। यही कारण है कि कश्मीरी लोग डेयर क्षेत्र से कमाई करने पर कुछ खास ध्यान नहीं देते हैं।

कॉपरेटिव मॉडल के तहत होगा काम

बता दें कि पिछले माह 5 जुलाई को पेश किये गए बजट में केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास की घोषण की थी। इसी के तहत अब जीसीएमएमएफ की तरफ से जम्मू-कश्मीर के किसानों को डेयरी उद्यमी के तौर पर विकसित किया जायेगा। इसके लिए उन्हें हर प्रकार की सहायता दी जायेगी। कॉपरेटिव मॉडल के तहत वहां के मवेशियों के खाद्य पदार्थ बनाने का काम शुरू किया जायेगा। इस तरीके से दूध की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जायेगी।

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क्या है मौजूदा स्थिति

मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर में केवल दो ही मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट काम कर रहे हैं, जिसकी कुछ क्षमता प्रतिदिन 50,000 लीटर दूध प्रोसेस करने की है। कश्मीरी महिलायें सेल्फ हेल्प ग्रुप के तहत डेयरी के क्षेत्र में काम करती हैं। इन प्रोसेस्ट 20-25 हजार लीटर को जेकेएमपीसीएल प्रतिदिन खरीदार है, जिसे स्नो कैप के नाम से बेचा जाता है। श्रीनगर और नजदीकी इलाकों में अनपैक्ड दूध ही बेचा जाता है।

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