
ev startups
नई दिल्ली: भारत में ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री ( Automobile industry ) की हालत कोरोनो से पहले से खराब थी और कोरोना के बाद से तो इसकी हालत पहले से भी खराब हो गई है। बदलाव के दौर से गुजर रही इंडस्ट्री को अब चीन और भारत के बदलते संबंधों की मार बी झेलनी पड़ रह है । दरअसल electric vehicles (EVs) का निर्माण करने वाले भारतीय स्टार्टअप्स ( indian startups ) अपने कंपोनेंट्स के लिए चीन पर निर्भर करते हैं, और गलवान मामले के बाद से तल्ख होते रिश्तों की वजह से अब इन स्टार्टअप्स के लिए अपने कारोबार के लिए पूंजी जुटाने की समस्या बढ़ रही है।
दरअसल चीन के साथ भारत के बदलते रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। गलवान वैली में 20 जवानों के शहीद होने के बाद जिस तरह से भारत सरकार ने 59 चायनीज ऐप को भारत में बैन कर दिया है उसकी वजह से निवेशक चीन पर निर्भर startups से दूरी बना रहे हैं। निवेशक उन Startups में पैसा ( investment in startups ) लगा रहे हैं जिनकी चीन पर निर्भरता थोड़ी कम है ।
पिछले 2 साल में इलेक्ट्रिक व्हकल के क्षेत्र में Ather Energy, Magenta PowerGrid, Ola Electric, Yulu और Lithium Urban Technologies जैसे स्टार्टअप्स private equity (PE) firms Tiger Global Management LLC और SoftBank Group, Rata Tata ( tata invest in startups ) और Hero MotoCorp promoter Pawan Munjal जैसे उद्योगपति व Hindustan Petroleum Corporation Ltd जैसे सरकारी निवेशकों से जरूरी पूंजी हासिल करते थे ।
लेकिन अब बदले हुए हालात में private equity (PE) firms और बड़े इंवेस्टर्स चीन पर डिपेंड रहने वाले स्टार्टअप्स को लेकर थोड़े से सशंकित है जिसकी वजह से वो इन वेंचर्स में पैसा लगाने से झिझक रहे हैं। ये बात खुद ऐसा ही एक स्टार्टअप चलाने वाले व्यक्ति ने कही.
Magenta PowerGrid के Maxxon Lewis का कहना है कि भारत में 500-600 स्टार्टअप जो इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडो-चीन रिश्तों की चपेट में आ चुके हैं।
भारत में बेचे जाने वाले 20 फीसदी कम स्पीड वाले electric scooters और three-wheelers lithium-ion cells, battery packs और electric motors जैसे कंपोनेंट्स के लिए चीन और ताइवान पर निर्भर करते हैं।
Published on:
10 Jul 2020 11:02 am
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