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Jet Airways Crisis : कर्मचारी संघ 75 फीसदी हिस्सेदारी लेने को तैयार, क्या होगा बेड़ा पार

Jet Airways Crisis : जेट एयरवेज की संकट की इस घड़ी में बड़े-बड़े महारथियों ने हाथ डालने से इनकार कर दिया है। ऐसे में अब एयरवेज कर्मचारी संघ 75 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को तैयार हुआ है।

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Jet Airways Crisis : कर्मचारी संघ 75 फीसदी हिस्सेदारी लेने को तैयार, क्या होगा बेड़ा पार

नई दिल्ली।जेट एयरवेज का संकट ( Jet Airways Crisis ) अभी तक खत्म नहीं हुआ है। जहां बैंकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वहीं अब कोई बड़ा कारोबारी समूह भी सामने आने को तैयार नहीं है। ऐसे में अब एयरवेज कर्मचारी संघ ( Airways Employees Association ) ने हिम्मत दिखाते हुए जेट एयरवेज की 75 फीसदी हिस्सेदारी लेने की घोषणा की है। यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है, जब मामला दिवाला कोर्ट ( NCLT ) के सामने आ चुका है। इसके अलावा विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ( hardeep singh puri ) संसद में साफ कर चुके हैं कि जेट एयरवेज ( Jet Airways ) का मामला सिर्फ आईबीसी के माध्यम से ही हल हो सकता है। अब सवाल ये है कि क्या संघ के इस ऑफर को दीवाला कोर्ट और सरकार कितनी गंभीरता से लेती है। अगर संघ के हाथों में जेट की कमान आती है तो क्या जेट के पंखों में उतनी जान आ पाएगी, जितनी पहले थी।

कर्मचारी संघ का बड़ा ऐलान
अस्थाई रूप से बंद हो चुकी जेट एयरवेज की अंधरी जिंदगी में एक रौशनी की किरण दिखाई दी है। इस बार यह रौशनी एयवेज कर्मचारी संघ ने दिखाई दी है। एयरवेज कर्मचारियों के संघ और एडीआई ग्रुप ने बंद पड़ी एयरलाइन की 75 फीसदी हिस्सेदारी की बोली लगाने के लिए साझेदारी की घोषणा की है। अगर ऐसा होता है जो जेट के हजारों कर्मचारियों को एक बार फिर नौकरी मिल जाएगी। वहीं दूसरी ओर करीब दो दिन पहले नागरिक विमानन राज्यमंत्री हरदीप पुरी ने संसद में अपने वक्तव्य में कहा था कि जेट एयरवेज की मुश्किलों का समाधान दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड यानी आईबीसी से ही हो सकता है।

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कोई बड़ा ग्रुप हाथ डालने को तैयार नहीं
वहीं दूसरी ओर नरेश गोयल की जेट एयरवेज में कोई बड़ा ग्रुप हाथ डालने को तैयार नहीं है। टाटा ग्रुप से लेकर हिंदुजा ग्रुप सब जेट एयरवेज के लिए आगे आए, लेकिन बाद में पीछे हट गए। वहीं दूसरी ओर जेट एयरवेज की प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस अब उसके घरेलू मार्गों के साथ विदेशी मार्गों पर भी नजरें बनाई हुई हैं। कुछ घरेलू मार्गों को अस्थायी तौर पर प्रतिद्वंद्वी विमानन कंपनियों को दे दिया। वहीं जेट के आधे अति व्यस्ततम विदेशी रूट्स को एयर इंडिया को दे दिया गया है और बाकी घरेलू कंपनियों को दिए जाएंगे।

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क्या कर्मचारी संघ सुधार पाएगा जेट की स्थिति
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या एयरवेज कर्मचारियों के संघ और उसके सहयोगी ग्रुप एडीआई जेट को संकट से निकाल पाएंगे। यह सवाल इसलिए जरूरी बन गया है क्यों कि एयरलाइन पर बड़ा कर्ज है। सिर्फ 8500 करोड़ रुपए बैंकों का कर्ज है। गुड्स एंड सर्विसेज का 10,000 करोड़ रुपए और कर्मचारियों के वेतन का 3,000 करोड़ रुपए भी शामिल है। गुड्स एंड सर्विसेज का 10,000 करोड़ रुपए और कर्मचारियों के वेतन का 3,000 करोड़ रुपए भी शामिल है। पिछले कुछ साल के दौरान जेट एयरवेज का कुल नुकसान 13,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। ऐसे में जेट एयरवेज पर 36,500 करोड़ रुपए का बकाया है। तो क्या इतना कैपिटल निकल पाएगा? यह सोचने की बात है।

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ट्रिब्यूनल में पहुंच चुका है मामला
वहीं मामला पहले ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में पहुंच का है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में करीब 26 बैंकों की ओर से डाली गई याचिका की सुनवाई वीपी सिंह और रविकुमार दुरईसामी कर रहे हैं। उन्होंने पिछली तारीख में साफ कहा था इस केस को समाधान प्रोफेशनल देखेगा। प्रोफेशनल तीन महीने में तीन महीने में समाधान प्रक्रिया पूरी करेगा।

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