पहले कर्ज चुकाए, फिर रिजॉल्युशन प्लान के बारे में करेंगे विचार
जस्टिस एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यों की बेंच ने एस्सार से कहा कि आप 80 हजार करोड़ रुपए चुकाने के बारे में सोंचे, तभी हम आपके रिजॉल्युशन प्रोसेस के बारे में सोचेंगे। साथ ही अपीलेट ट्रिब्युनल ने आर्सेलरमित्तल से यह भी पूछा कि एस्सार स्टील को खरीदने के लिए उससे अधिक कीमत क्यों नहीं ली जाए। ESAH ने एनसीएलटी के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि ESAH, एस्सार स्टील की होल्डिंग कंपनी है। उसने कर्ज देने वाले बैंकों और ऑपरेशनल क्रेडिटर्स का पूरा बकाया चुकाने के लिए 54,389 करोड़ रुपये का ऑफर दिया है।
आर्सेलरमित्तल के प्लान के खिलाफ अपील
दिवालिया कानून के तहत कोई भी शख्स या कंपनी यदि कोई डिफॉल्ट कर चुकी है और उसपर दिवालिया कार्रवाई हो रही है तो उस दौरान वो किसी कंपनी के लिए बोली नहीं लगा सकती है। एस्सार स्टील को कर्ज देने वाले स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने भी आर्सेलरमित्तल के इस प्लान के खिलाफ अपील की है। उसने कहा है कि आर्सेलरमित्तल का यह प्लान ‘भेदभाव वाला’ है। साथ ही, इस प्लान की मंजूरी देते समय भी दिवालिया कानून की मूल भावना का ख्याल नहीं रखा गया है। बता दें कि यदि आर्सेलरमित्तल के इस प्लान के तहत स्टैंडर्ड चार्टर्ड को सिर्फ 60 करोड़ रुपए का ही बकाया मिल सकेगा, जबकि एस्सार स्टील से उसने 3,187 करोड़ रुपए का दावा किया है।
कम कीमत में कंपनी देने पर ट्रिब्युनल का सवाल
ट्रिब्युनल ने यह भी पूछा कि जब एस्सार स्टील की वैल्यू 54 हजार करोड़ रुपए की है तो उसे 42 हजार करोड़ रुपए में ही कंपनी क्यों दी जाए। जस्टिस मुखोपाध्याय ने कहा, “असल सवाल यही है कि यदि कोई इस कंपनी के लिए 54 हजार करोड़ रुपए दे रहा है तो आप इतना पैसे नहीं दे सकते ?” आर्सेलर मित्तल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा ESAH की हालत ऐसी नहीं है कि वो इतने पैसे चुका सके। गौरतलब है कि बीते दो सालों से एस्सार स्टील का रिजॉल्युशन प्लान अधर में लटका हुआ है। केंद्रीय बैंक ने बैड लोन के जिन 12 मामलों को सबसे पहले दिवालिया कानून के तहत सुलझाने का निर्देश दिया था, इनमें एस्सार स्टील भी था।
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