scriptबजट 2020 में कागज उद्योग ने की सीमा शुल्क बढ़ोतरी की मांग | Paper industry demands increase in customs in budget 2020 | Patrika News

बजट 2020 में कागज उद्योग ने की सीमा शुल्क बढ़ोतरी की मांग

Published: Jan 23, 2020 12:54:57 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

भारत में 70,000 करोड़ रुपए का है कागज उद्योग
आईपीएमए बजट से पहले रखीं सरकार के सामने मांगे
बीते पांच सालों में उद्योग में हुआ 25 हजार करोड़ का निवेश

paper industry

Paper industry demands increase in customs in budget 2020

नई दिल्ली। बेतहाशा आयात से घरेलू उद्योगों के हितों की हिफाजत की दिशा में सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से उत्साहित भारतीय कागज उद्योग ने आगामी बजट में आयातित कागज पर सीमा शुल्क बढ़ोतरी की मांग की है। भारत का कागज उद्योग 70,000 करोड़ रुपये का है। भारतीय बाजार में बड़ी मात्रा में आयातित कागज पहुंचता है। इंडियन पेपर मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने कहा है कि भारत में कम या शून्य आयात शुल्क विशेषरूप से एफटीए के प्रावधानों का लाभ उठाते हुए कई बड़े पेपर उत्पादक देश उभरते भारतीय बाजार को लक्ष्य बना रहे हैं।

आईपीएमए के अनुसार वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए भारतीय पल्प एवं पेपर उद्योग संकट में है। बड़े पेपर उत्पादक देश तेजी से उभरते भारतीय बाजार में बड़ी मात्रा में पेपर और पेपरबोर्ड का निर्यात कर रहे हैं। इन देशों में इंडोनेशिया और चीन शामिल हैं, जहां के मैन्यूफैक्च र्स को निर्यात पर बड़े इन्सेंटिव मिलते हैं। साथ ही उन्हें सस्ता कच्चा माल और ऊर्जा भी उपलब्ध है। आईपीएमए के अध्यक्ष एएस मेहता ने कहा कि पिछले 5-7 साल में घरेलू उद्योग में 25,000 करोड़ रुपए के निवेश से उत्पादन की घरेलू क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बावजूद इसके भारत में पेपर और पेपरबोर्ड का आयात तेजी से बढ़ा है।

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलीजेंस एंड स्टेटिस्टिक्स (डीजीसीआईएंडएस), भारत सरकार के आंकड़ों के हवाले से आईपीएमए ने कहा कि पिछले आठ साल में मूल्य के हिसाब से आयात 13.10 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ा है। यह 2010-11 के 3,411 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 9,134 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। मात्रा के हिसाब से इसमें 13.54 फीसदी की वृद्धि हुई है। आयात 2010-11 के 5.4 लाख टन से बढ़कर 2018-19 में 14.8 लाख टन हो गया है।

चालू वित्त वर्ष में भी पेपर व पेपरबोर्ड के आयात में तेज वृद्धि हुई है। 2018-19 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) की तुलना में इस वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान मात्रा के आधार पर इनके आयात में 29.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

आईपीएमए ने पेपर एवं पेपरबोर्ड के आयात पर सीमा शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने की अपील की है, जिससे इस उद्योग को भी कृषि उत्पादों के स्तर पर लाया जा सके, क्योंकि इसका कच्चा माल लकड़ी और देश के लाखों किसानों से लिया जाने वाला कृषि कचरा है। एफटीए की तत्काल समीक्षा और पेपर एवं पेपरबोर्ड को एक्सक्लूजन/नेगेटिव लिस्ट में रखने की अपील भी की गई है, क्योंकि इन देशों से होने वाले आयात पर केवल सीमा शुल्क में वृद्धि से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा।

भारत-आसियान एफटीए और भारत-कोरिया सीईपीए के तहत पेपर एवं पेपरबोर्ड पर आयात शुल्क को लगातार कम किया गया है और अभी ज्यादातर ग्रेड के लिए यह शून्य पर पहुंच गया है। एशिया पैसिफिक ट्रेड एग्रीमेंट (एपीटीए) के तहत भी भारत ने चीन व अन्य देशों को आयात शुल्क में छूट दी है और बेसिक कस्टम ड्यूटी को भी ज्यादातर पेपर ग्रेड के लिए 10 प्रतिशत से 7 प्रतिशत कर दिया है। सरकार को पेपर उद्योग का सहयोग करना चाहिए, क्योंकि इसका गहरा संबंध देश के कृषक समुदाय से है और साथ ही यह उद्योग भारत में 33 प्रतिशत जमीन को वृक्षारोपित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी शानदार तरीके से योगदान दे रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो