
real estate
नई दिल्ली : वैसे तो फिलहाल पूरी अर्थव्यव्स्था की हालत खराब है लेकिन आज हम रियल एस्टेट की बात करेंगे। सबसे बड़ी बात ये है कि सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले सेक्टर में से एक रियल एस्टेट सेक्टर ( Real Estate sector ) की इस बरबादी की वजह कोरोना नहीं है बल्कि कोरोना के दस्तक देने से पहले ही भारतीय रियल एस्टेट मंदी ( recession in real estate ) के दौर की दहलीज पर खड़ा था। ये हम नहीं कह रहे बल्कि Knight Frank India की रिपोर्ट इंवेस्टमेंट्स इन रियल एस्टेट ( INVESTMENT IN Real Estate ) में यह बात सामने आई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक रियल एस्टेट में इस साल अभी तक मात्र 5 डील पूरी हुई है और साल 2020 में प्राइवेट इक्विटी इंवेस्टमेंट में 93 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। यहां ध्यान देने वाली बात भी है कि इस साल में पहले पांच महीनों में पिछले साल के मुकाबले 80 फीसदी डील्स कम हुई है।
दरअसल कोरोना की वजह से घरेलू निवेशक रियल एस्टेट से दूरी बना रहे हैं जबकि इंटरनेशनल निवेशक विकसित देशों में निवेश को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं । रिपोर्ट के मुताबिक, आगे चलकर महामारी और वैश्विक मंदी की वजह से वैश्विक तौर पर एसेट वैल्युएशन में बड़ी गिरावट होगी। इसका नतीजा यह होगा कि इंवेस्टमेंट विकसित देशों की तरफ जाएगा ।
रेजिडेंशियल के मुकाबले ऑफिस, रिटेल और वेयरहाउसिंग में इक्विटी निवेश बढ़ा है जिसकी वजह से इसका कुछ निवेश बढ़ा है । रेजिडेंशियल सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी निवेशक डेट या स्ट्रक्चर्ड डेट इंवेस्टमेंट की तरफ ज्यादा बढ़े हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑफिस एसेट्स की कमी ने निवेशकों को निर्माणाधीन एसेट्स और ग्रीनफील्ड डेवलपमेंट में करने को मजबूर किया है। 2020 में इस क्षेत्र में अब तक केवल 2 डील हुई हैं, जिनकी कुल वैल्यू 141 मिलियन डॉलर की हैं।
Published on:
10 Jun 2020 07:23 pm
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