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केंद्र की मांग पर आरआईएल का विरोध, आर्बिटेशन भुगतान करने से इनकार

locationनई दिल्लीPublished: Dec 23, 2019 01:33:48 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

आरआईएल ने कोर्ट में दाखिल किया शपथ पत्र, कहा गलत है केंद्र की मांग
शपथ पत्र में केंद्र सरकार की याचिका मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन बताया
केंद्र ने आरआईएल और अरामको की डील पर रोक लगाने की थी मांग

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RIL opposes Center’s demand, refuses to pay arbitration award

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ( Central govt ) और रिलायंस इंडस्ट्रीज ( Reliance Industries ) आर्बिट्रेशन अवॉर्ड ( Arbitration Award ) पर आमने सामने आ गई है। आरआईएल ( RIL ) ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की मांग पूरी तरह से मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन है। केंद्र की याचिका विरोध करते हुए रिलायंस ने कहा कि मध्यस्थता अदालत ने किसी भी फैसले में बकाया चुकाने की बात नहीं की है। आपको बता दें केंद्र सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और सऊदी अरब की कंपनी सऊदी अरामको ( Saudi Aramco ) के साथ 15 अरब डॉलर के सौदे पर रोक लगाने की मांग की थी।

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रिलायंस ने दाखिल किया शपथ पत्र
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने केंद्र सरकार की याचिका के जवाब में हाईकोट में शपथ पत्र दाखिल किया है। शपथ पत्र के अनुसार मध्यस्थता अदालत ने रिलायंस और उसकी भागीदार कंपनी को सरकार को 3.5 अरब डॉलर का बकाया भुगतान करने को नहीं कहा है। दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से रिलायंस और सऊदी अरामको को अपनी संपत्ति के बारे में बताने को कहा है। कोर्ट ने यह आदेश केन्द्र सरकार की याचिका पर दिया है। जिसमें कहा गया था कि दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों को ना बेचने का निर्देश दिया जाए।

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डील से आखिर क्यों है केंद्र सरकार परेशान
आखिर सरकार को इस डील से इतनी परेशानी क्यों है? इस सवाल का जवाब केंद्र सरकार के इस तर्क में है। वास्तव में कोर्ट के सामने केंद्र सरकार ने कई मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते कहा है कि आरआईएल सऊदी अरामको को अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी अपने 2.88 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का भुगतान करने के लिए बेच रही है। साथ ही केंद्र ने यह भी है कि आने वाले दिनों में कंपनी कई और संपत्तियों को बेच सकती है। ऐसे में कंपनी के पास सरकार को आर्बिट्रल अवॉर्ड देने के लिए एक भी रुपया नहीं बचेगा। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि उनके पास आरआईएल के बिजनस प्लान की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसे में कंपनी से भुगतान करना मुश्किल होगा।

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