
salary inequality sbi vs hdfc
नई दिल्ली : लोगों में सरकारी जॉब ( govt job ) का अलग ही क्रेज होता है। हर कोई सरकारी नौकरी करना चाहता है लेकिन बात जब पे स्केल की होती है तो एक टाइम बाद सरकारी नौकरी में ग्रोथ रूक सी जाती है। ये बात सैलेरी पर भी लागू होती है भले ही सरकारी नौकरी में शुरूआत में अच्छी सैलेरी मिलती है लेकिन बाद में ओहदा बढ़ने के साथ आप पाते हैं कि आपकी सैलेरी प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले आपके समकक्षों से बेहद कम है। ये बात हम ऐसे ही नहीं कर रहे हैं बल्कि HDFC Bank और SBI इसका ताजा उदाहरण हैं।
HDFC Bank के चेयरमैन आदित्य पुरी ( Aditya puri of HDFC Bank ) को 2019-20 वित्तीय वर्ष में बैंक द्वारा पूरे Rs 18.9 करोड़ का पेमेंट किया गया है जबकि इसमें स्टॉक को शामिल नहीं किया गया है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन ( SBI CHIEF ) रजनीश कुमार ( rajnish kumar ) को बैंक को लीड करने के लिए 31.2 लाख रूपए सैलेरी के रूप में मिले हैं ।
आदित्य की सैलेरी ( HIGHEST Paid Banker Aditya Puri ) में पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 38 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। आपको बता दें कि HDFC Bank के बाकी डायरेक्टर्स की सैलेरी भी करोड़ों में हैं । ऐसे में सैलेरी की इस असमानता पर सवाल उठना लाजिमी है।
ऐसा नहीं है कि ये wage disparity सिर्फ बैंकिंग सेक्टर ( banking sector ) में है बल्कि हर इंडस्ट्री में कमोबेश यही हालात हैं । RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ( rbi governor raghuram rajan ) ने 2016 में इस मुद्दे को उठाते हुए खुद को अंडर पेड बताया था। उनका कहना था कि दिक्कत सबसे बड़ी ये है कि सरकार निचले स्तर पर तो अच्छा पे करती है लेकिन टॉप अधिकारियों को पे नहीं करती है।
Updated on:
25 Jun 2020 04:49 pm
Published on:
25 Jun 2020 02:36 pm
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