
ram barat
इटारसी. श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर से सोमवार को भगवान श्रीराम की बारात निकली और गांधी मैदान में रामलीला के मंच पर भगवान का माता सीता के साथ विवाह संपन्न हुआ। बड़े मंदिर में नपाध्यक्ष सुधा अग्रवाल, मुख्य नगर पालिका अधिकारी अक्षत बुंदेला, नपा उपाध्यक्ष अरुण चौधरी, कल्पेश अग्रवाल, जयकिशोर चौधरी, दीपक अग्रवाल, नीरज जैन, पंकज राठौर, राकेश जाधव सहित अन्य ने भगवान की पूजा-अर्चना कर बारात को रवाना किया। इस अवसर पर नगर पालिका के सभी अधिकारी और कर्मचारी, श्रीरामलीला आयोजन समिति पुरानी इटारसी के सदस्य भी शामिल हुए।
रामजी की निकली सवारी और अन्य धार्मिक गीतों, ढोल और बैंड के साथ बारात पुराने फल बाजार से होकर आठवी लाइन, सराफा बाजार, नीमवाड़ा, जयस्तंभ चौक होकर गांधी स्टेडियम पहुंची। बारात में घोड़े, नृत्य मंडली, शेर नृत्य करने वालों के अलावा युवाओं की टोली भी नृत्य करते हुए चल रही थी। पुराने फल बाजार में सिंधी समाज, सराफा बाजार, जयस्तंभ चौक सहित अनेक स्थानों पर बारातियों का स्वागत किया। रामलीला मंच पर राजा जनक बने मोहनजी भाई पटेल ने विवाह की रस्म निभाई और माता सीता के पांव पखारे।
बारात में श्रीराम, लक्ष्मण के साथ मुनि विश्वामित्र, भरत, शत्रुघ्न को रथ पर बिठाया था। बड़े मंदिर से लेकर गांधी मैदान तक हजारों बाराती साथ चले। बारात में दुलदुल घोड़ी नृत्य, डंडा नृत्य आकर्षण का केन्द्र थे। बारात के आगे मोटू-पतलू के वेश में बच्चे भी आकर्षण का केन्द्र रहे। ढोल और बैंड की धुन पर युवाओं ने जमकर नृत्य किया। जमकर आतिशबाजी भी की गई। गांधी मैदान में जब बारात पहुंची तो बारात की अगवानी और बारातियों का स्वागत किया। श्रीराम जी का विवाह जगत जननी माता सीता के साथ संपन्न हुआ और यहां अनेक लोगों ने माता सीता के पांव पखारे।
कैकई ने मांगा राम के लिए वनवास
श्रीराम सहित अपने चारों पुत्रों का विवाह संपन्न कराने के बाद एक दिन महाराज दशरथ दर्पण देख रहे थे कि उन्हें अपने कान के पास कुछ सफेद बाल दिखाई दिए तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने गुरु वरिष्ठ को बुलाकर कहा कि गुरुवर अब वक्त आ गया है कि राम को राज्य सौंप दिया जाए। गुरु वशिष्ठ कहते हैं कि राजन यह उत्तम विचार है। इसके बाद राम को राज्याभिषेक की घोषणा होती है, पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इधर महारानी कैकई की दासी मंथरा को जब यह खबर लगती है कि राम को राज्य मिलने वाला है तो उसे बात पसंद नहीं आती है। वह जाकर रानी कैकेई के कान भरकर महाराज दशरथ से वरदान मांगने को कहती है। मंथरा की चाल सफल होती है और महारानी कैकई कोप भवन में चली जाती है। उक्त प्रसंग का सुंदर वर्णन श्रीहित आदर्श कृष्णकला संस्थान वृंदावन के कलाकारों द्वारा किया गया। लीला को आगे बढ़ाते हुए आज श्रीराम के वनवास का प्रसंग काफी प्रभावी ढंग से पेश किया। महाराज दशरथ को रानी कैकई के कोप भवन में जाने की जानकारी मिलती है तो वे इसका कारण जानने जाते हैं। कैकई उनसे दो वर मांगती है, सुनकर दशरथ को काफी दुख होता है। श्रीराम को पता लगता है तो वे अपने पिता से कहते हैं कि मां की इच्छा वे अवश्य पूर्ण करेंगे। अपने पिता को श्रीराम ढांढस बंधाते हुए कहते हैं कि वे शोक न करें, चौदह वर्ष जल्दी बीत जाएंगे। गांधी मैदान और पुरानी इटारसी के सूखा सरोवर मैदान पर रामलीला मंचन को देखने इस वर्ष बड़ी सं या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
Published on:
16 Oct 2018 01:55 pm
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