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क्रिप्टो करेंसी के नाम पर 26 देशों के आठ हजार लोगों से ठगी

locationजबलपुरPublished: Jul 18, 2021 08:18:26 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

ठगी का शिकार लोगों में 70 प्रतिशत एनआरआई, एसटीएफ जांच में हुआ खुलासा

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जबलपुर. क्रिप्टो करेंसी के जरिए लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले मदन महल निवासी रूपिंदर पाल सिंह छाबड़ा की एसटीएफ भोपाल में गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने जबलपुर, मुंबई, चंडीगढ़, भोपाल, दिल्ली, रायपुर, जालंधर, अमृतसर और दिल्ली समेत देश के कई शहरों में अपना नेटवर्क तैयार कर लिया था।

आरोपियों ने हांगकांग, चीन, दुबई, मलेशिया में रहने वाले भारतीयों से भी इसमें निवेश कराया था। एसटीएफ की जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि आरोपियों ने करीब 26 देशों के लगभग आठ हजार 372 लोगों से ठगी की। इनमें 70 प्रतिशत एनआरआइ थे। आरोपियों ने सभी से निवेश की गई रकम को दो से तीन गुना करने का झांसा देकर रुपए ऐंठे थे।

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यह हुआ था खुलासा
एसटीएफ टीम ने जांच के बाद सबसे पहले जबलपुर के ब्रजेश रैकवार, उसकी पत्नी सीमा और और रूपेश को गिरफ्तार किया था। भारत में ब्रजेश और रूपेश ही लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे। उन्होंने यह भी बताया कि रूपिंदर भी इसमें शामिल था। आरोपियों ने मुंबई, दिल्ली, चंडीगढ़, भोपाल, रायपुर, जालंधर, अमृतसर में अपना धंधा जमाया और उक्त शहरों के लोगों से करोड़ों रुपए ठगे।

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बेंगलूरु और जयपुर की फर्मों को ठेका
जांच में पता चला कि रूपिंदर, बृजेश और रूपेश ने हांगकांग में रहने वाले केविन और मलेशिया निवासी डेनियल फ्रांसिस से यह धंधा सीखा था। दोनों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार की आड़ में क्रिप्टो करेंसी को भारतीय स्वरूप देने के लिए प्लस गोल्ड, यूनियन क्वॉइन वेबसाइट बनाने के लिए बेंगलूरु व जयपुर की फर्मों से भी अनुबंध किया था।

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यहां करते थे निवेश
आरोपियों ने प्रतिबंधित क्रिप्टो करेंसी से मिली रकम को जमीन, मकान, दुकान, मुजरा-नाइट, बॉलीवुड हाइट्स, गोवा के कसीनो, एपी-3 मॉशन पिक्चर्स प्रोडक्शन, महफिल-ए-उमराव जान आदि में निवेश किया। आरोपियों ने जबलपुर, भोपाल और छत्तीसगढ़ में भी लोगों से ऐंठी गई रकम निवेश किया था। आरोपी मल्टीलेवल मार्केटिंग की तर्ज पर व्यापार करते थे। इसमें राजीव शर्मा, रूपेंद्र पाल सिंह भी शामिल थे। जांच के दौरान वर्ष 2018 में ब्रजेश के बैंक खातों से क्रिप्टो करेंसी से कमाए करीब चार करोड़ रुपए का हिसाब मिला था।

एक सदस्य बनाने पर 3.5 लाख रुपए
गिरोह का जाल भारत से लेकर हांगकांग, चीन, दुबई, मलेशिया तक फैला था। यह गिरोह लोगों को सिल्वर, गोल्ड, प्लेटिनम नाम से आइडी बनाकर देते थे। यदि आइडी बनाने और उसे संचालित करने वाला नया सदस्य बनाता तो प्रति सदस्य उसे 3.5 लाख रुपए अलग से दिए जाते थे।

 

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