26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

टेस्टिंग में पास हुआ खतरनाक बम, अब वायुसेना के लिए बनेगा

टेस्टिंग में पास हुआ खतरनाक बम, अब वायुसेना के लिए बनेगा

2 min read
Google source verification
bomb.png

Air Force dangerous bomb

जबलपुर . वायुसेना के लिए ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) में जल्द ही 250 किग्रा शक्तिशाली बम का उत्पादन शुरू होगा। इस बम की ढलाई पहले हो चुकी थी। एक जरूरी टेस्ट में भी वह पास हो गया है। अब नियमित ढलाई का काम शुरू होगा। बड़ी बात यह है कि इस बम का हीट ट्रीटमेंट भी फाउंड्री में होगा। मशीनिंग के लिए भी इंतजाम यहीं पर किए जा रहे हैं। इससे दूसरे शहरों में इस बम को भेजने में लगने वाला समय बचेगा।

जीआइएफ: हीट ट्रीटमेंट और मशीनिंग की सुविधा भी यहीं होगी

जीआइएफ में मुख्य रूप से 120 किलो एरियल बम और हैंड ग्रेनेड की बॉडी की ढलाई होती है। इस समय एरियल बम का काम बंद है। आयुध निर्माणी बोर्ड से इसका ऑर्डर नहीं मिला। केवल हैंड ग्रेनेड की ढलाई हो रही है। इसके अलावा माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी) और अब शारंग तोप का काम शुरू हुआ है। लेकिन, 250 किग्रा विध्वंसक बम की बॉडी के उत्पादन से वर्कलोड की समस्या दूर हो जाएगी। लगभग 300 बमों का हर साल उत्पादन का ऑर्डर जीआइएफ को मिल सकता है।

गरम फिर, ठंडा किया जाएगा बम
इस बम की ढलाई के अलावा बम के हीट ट्रीटमेंट मशीन के लिए टेंडर हो चुके हैं। जानकारों ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत बम बॉडी को पहले उच्च तापमान पर गरम किया जाता है, फिर माइनस डिग्री पर ठंडा किया जाता है। यह परीक्षण इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि फाइटर प्लेन से इसे जमीन पर छोड़ा जाता है, तो लॉन्चर से काफी गर्माहट पैदा होती है। हर मौसम में यह काम करे, इस स्थिति में भी यह प्रक्रिया कारगर होती है।

बाहर जाने की झंझट से मुक्ति

यहां पर मशीनिंग की सुविधा भी विकसित की जाएगी। मशीनिंग ढलाई के बाद की प्रक्रिया है। ढलाई में बम का आकार ऐसा नहीं होता कि सीधे उसमें बारूद की फिलिंग की जाए। इसके लिए बम बॉडी की मशीनिंग की जाती है। यह सुविधा अभी फाउंड्री के पास नहीं है। आयुध निर्माणी मुरादनगर एवं नागपुर की एक निजी फर्म पर इस काम के लिए निर्माणी निर्भर रहती है। इसलिए यह मशीन भी यहां लाई जा रही है।


वायुसेना के लिए 250 किग्रा बम प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहे हैं। इसकी ढलाई के साथ मशीनिंग व दूसरी सुविधाएं जुटाई जा रही हैं।
- अजय सिंह, महाप्रबंधक जीआइएफ