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जबलपुर। रविवार को कुशाग्रहणी अमावस्या मनाई जा रही है। अमावस्या पर शिवपूजा फलदायी होती है पर इस अमावस्या पर विष्णुपूजन भी बहुत फलदायी होता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। धन-संपत्ति, वाहन आदि के लिए आज विष्णुजी की मनोयोग से पूजा करें। विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ जरूर करें। आज से विष्णुसहस्त्रनाम का रोज पाठ शुरु करें और नियमित रूप से 40 दिन तक करें। इसके बाद आपको मनोनुकूल फल मिलना शुरु हो जाएगा।
कुशाग्रहणी अमावस्या के दिन तीर्थ, स्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से ऋण और पापों से छुटकारा मिलता है। इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। शास्त्रों में इसे कुशाग्रहणी अमावस्या या कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। भगवान विष्णु की आराधना की जाती है यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है। जिससे तन, मन और धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
विधि-विधान- कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन साल भर के धार्मिक कृत्यों के लिये कुश एकत्र लेते है। प्रत्येक धार्मिक कार्यों के लिए कुशा का इस्तेमाल किया जाता है। शास्त्रों में भी दस तरह की कुशा का वर्णन प्राप्त होता है, जिस कुशा का मूल सुतीक्ष्ण हो, इसमें सात पत्ती हो, कोई भाग कटा न हो, पूर्ण हरा हो, तो वह कुशा देवताओं तथा पित्त, दोनों कृत्यों के लिए उचित मानी जाती है। कुशा तोड़ते समय ‘हूं फट्’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
महत्व- अघोर चतुर्दशी तिथि के दिन विशेष रूप से पितरों के लिये किए जाने वाले कार्य किये जाते है। इस दिन पितरों के लिये व्रत और अन्य कार्य करने से पितरों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का महत्त्व है। विधि के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष में चलने वाला पन्द्रह दिनों के पितृ पक्ष का शुभारम्भ भादों मास की अमावस्या से ही हो जाती है।
Published on:
09 Sept 2018 08:29 am
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