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गमले में लगाएं ये पौधा… इसे देखते ही भाग जाते हैं जहरीले सांप

इस पौधे की गंध से ही भाग जाते हैं जहरीले सांप

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इस पौधे की गंध से ही भाग जाते हैं जहरीले सांप

जबलपुर। बारिश के साथ शहर में जहरीले सांपों के निकलने और सपदंश के मामले बढ़ गए हैं। अकेले जबलपुर में ही सांप निकलने के 80 से 100 तक मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। लोगों के पास सर्प विशेषज्ञ को बुलाकर सांप को पकड़वाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं रहता। समस्या यहां और बढ़ जाती है जब कहीं और व्यस्तता की वजह से निजी सर्प विशेषज्ञ व वन विभाग की रेस्क्यू टीम समय पर लोगों के घर पर नहीं पहुंच पाती। ऐसे में लोगों को कोई उपाय नहीं सूझता और वे दशहत के साए में समय गुजारते हैं। जानकारों के अनुसार आयुर्वेद में एक ऐसे पौधे का जिक्र है, जिसकी गंध से ही सांप दूर भाग जाते हैं। विशेष गुण के कारण इसे सर्पगंधा के नाम से ही जाना जाता है। आइए आपको भी इसके प्रभावों से अवगत कराते हैं।

चरक संहिता में वर्णन
आयुर्वेदाचार्य पं. अरुण शुक्ल के अनुसार सर्पगंधा के अनूठी प्राकृतिक औषधि है। इसके पौधे का विषद वर्णन मिलता है। महर्षि चरक ने (1000-800 ई.पू.) सर्पगंधा का जिक्र सर्पदंश तथा कीटदंश के उपचार हेतु लाभप्रद विषनाशक औषधि के रुप में किया है। सर्पगंधा से जुड़ी अनेक कथाएंं हैं। यह सर्प के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है। सर्प काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती है।

अजब है इसकी गंध
स्टेट फारेस्ट रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. एसके पांडेय बताते हैं कि वनों की कटाई और अंधाधुंध उपयोग के चलते सर्पगंधा के पौधों की संख्या घटी है, लेकिन मंडला, डिंडौरी, कुंडम आदि के जंगलों में यह अब भी मौजूद है। इसे गांवों में घवल बरूआ, चंद्रभागा, छोटा चांद आदि के नामों से भी जाना जाता है। सर्पगंधा का वैज्ञानिक नाम सवोल्फिया सर्पेतिना है। इस पौधे में अदभुत शक्ति होती है। इसकी गंध इतनी अजब होती है कि सांप इसे सूंघते ही दूर से भाग जाते हैं।

गमले में लग सकता है पौधा
एसएफआरआई की नर्सरी में कार्यरत मुकेश चौबे बताते हैं कि सर्पगंधा का पौधा आकार में काफी छोटा होता है। इसमें बारिश के मौसम में सिंदूरी कलर के पुष्प आते हैं। तुलसी के पौधे की तरह इसे भी आसानी से गमले में लगाया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि जहरीले जीव-जंतु सर्पगंधा की गंध से दूर भागते हैं। जिस घर के अहाते में सर्पगंधा का पौधा लगा हो, वहां विषैले जीव-जंतु प्रवेश नहीं करते। ये पौधा विषैले जीवों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। इसके प्रभाव से बिच्छू आदि भी दूर भाग जाते हैं। जहरीले जंतुओं के काटने पर इस पौधे के पत्तों व जड़ों को औषधीय प्रयोग में भी लाया जाता है। सर्पगंधा से कई अन्य दवाएं भी बनती हैं। यह पौधा बेहद दुर्लभ है। संरक्षण के अभाव में अब इसकी संख्या कम हो रही है।