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amazing: इस पौधे के बीजों की खीर मिटा देती है एक माह की भूख… जानिए 10 खास गुण  

आध्यात्मिक कार्यों व सिद्धि साधना के लिए साधकों को एकाग्रचित्त कर शरीर को इतनी शक्ति प्रदान करती  है कि नहीं पड़ती कई दिन भोजन की जरूरत

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Ajay Khare

Sep 23, 2016

amazing,the pudding of these seeds,erases one mont

apamarg

जबलपुर। भारतीय ऋषि मुनियों और आयुर्वेदाचार्यों द्वारा खोजी गईं कई वनस्पतियां कमाल की हैं। इनमें से कुछ वनस्पतियां पूजा पाठ में काम आने के साथ ही इंसान को अद्भुत आंतरिक शक्ति प्रदान करती हैं। ये आध्यात्मिक कार्यों व सिद्धि साधना के लिए साधकों को एकाग्रचित्त करती हैं। इनके सेवन से साधक कई दिनों तक भूखे रह कर अपनी साधना जारी रख सकता है। ऐसी ही एक वनस्पति है अपामार्ग जिसमें छिपी शक्तियों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

बारिश में उगता है अपामार्ग
अपामार्ग को अघाड़ा ,लटजीरा या चिरचिटा भी कहा जाता है। यह बारिश में मैदानों, खेत खलिहानों और बगीचों में अपने आप उगता है। इसके पत्ते गणेश पूजा, हरतालिका पूजा , मंगला गौरी पूजा आदि में काम आते हैं। भगवान शिव की पूजा में इनका विशेष महत्व है। आगे बताते हैं इसके 10 विशेष गुण।

1- इसके बीज चावल की तरह दिखते हैं , इन्हें तंडुल कहते हैं । यदि स्वस्थ व्यक्ति इन्हें खा ले तो उसकी भूख -प्यास समाप्त हो जाती है । इसकी खीर उनके लिए वरदान है जो भयंकर मोटापे के बाद भी भूख को नियंत्रित नहीं कर पाते

2- इसकी दातुन करने से दांत 100 वर्ष तक मज़बूत रहते हैं । इसके पत्ते चबाने से दांत दर्द में राहत मिलती है और गुहा यानी कैविटी भी धीरे धीरे भर जाती है ।
3- इसके बीजों का चूर्ण सूंघने से आधा सीसी में लाभ होता है,इससे मस्तिष्क में जमा हुआ कफ निकल जाता है और वहां के कीड़े भी खत्म हो जाते हैं ।
4- इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े फुंसी और गांठ ठीक हो जाती हंै इसकी जड़ को कमर में धागे से बाँध देने से प्रसव सुख पूर्वक हो जाता है। प्रसव के बाद इसे हटा देना चाहिए .
5- ज़हरीले कीड़े काटने पर इसके पत्तों को पीसकर लगा देने से आराम मिलता है।
6- गर्भ धारण के लिए इसकी 10 ग्राम पत्तियाँ या जड़ को गाय के दूध के साथ 4 दिन सुबह ,दोपहर और शाम सेवन करें। यह प्रयोग अधिकतर तीन बार करें।.
7- इसकी 5-10 ग्राम जड़ को पानी के साथ घोलकर लेने से पथरी निकल जाती है।
8- अपामार्ग क्षार या इसकी जड़ श्वास में बहुत लाभ दायक है।
9- इसकी जड़ के रस को तेल में पका लें। यह तेल कान के रोग जैसे बहरापन , पानी आना आदि के लिए लाभकारी है .
10- इसकी जड़ का रस आँखों के रोग जैसे फूली , लालिमा , जलन आदि लिए अच्छा होता है।