यूजीसी से मात्र 20 करोड़ का फंड
जबलपुर. विवि प्रशासन इसके लिए तैयारियों में जुटा है और अंतिम अवसर को किसी भी हालत में नहीं गंवाना चाहेगा। नए मापदंडों के अनुसार यदि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन के पैमाने पर खरा उतरने में सफल हो जाता है तो विश्वविद्यालय के लिए 100 करोड़ प्राप्त करने की राह खुल जाएगी। उल्लेखनीय है कि यूजीसी फंडिंग में रादुविवि को मात्र 20 करोड़ की राशि ही आवंटित हुई है।
इंस्पेक्शन की तैयारी
नैक कराने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी कमियों को दूर करने का दावा किया है। अब इंस्पेक्शन की तैयारी शुरू की जा रही है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के तहत विश्वविद्यालय की गुणवत्ता सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के लिए यह राशि दी जाती है।
रीवा विवि का हुआ मूल्यांकन
रादुविवि के साथ ही रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का भी नैक होना था। हालांकि नैक कराने में रीवा विवि आगे रहा लेकिन वह उच्च ग्रेडिंग प्राप्त करने में सफल नहीं हो सका है। पिछले दिनों नैक ने विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग जारी कर दी है जिसमें रीवा विवि बी प्लस ग्रेड में सिमट गया है। उसे 2.8 सीजीपीए मिल सका है। पूर्व में रीवा विश्वविद्यालय बी ग्रेड में था।
इसी माह आनी थी टीम
नैक मूल्यांकन के लिए मार्च में टीम के आने की संभावना थी लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण मामला अटक गया। संभवत: अब अप्रैल के अंत तक टीम आएगी। विवि इस समय का सदुपयोग कर तैयारी कर सकता है।
ऑफलाइन कराने की जताई मंशा
उच्च शिक्षा विभाग, नैक अधिकारियों के साथ पिछले दिनों प्रदेश के विश्वविद्यालयों की एक बैठक आयोजित की गई। जिसमें नए परिवर्तनों से सभी विवि को अवगत कराया गया। विश्वविद्यालय को दोनों मोड में से किसी एक मोड़ में जाने का अधिकार दिया गया था जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुरानी व्यवस्था के तहत ऑफलाइन मूल्यांकन करने की अनुशंसा दी है।
नैक मूल्यांकन को लेकर आवश्यक तैयारी चल रही है। रिपोर्ट की सभी कमियां को दूर कर दिया गया है अब किसी तरह की समस्या नहीं है। मैन्यूल इंस्पेक्शन कराने का विवि ने निर्णय लिया है। अतिरिक्त फंडिंग के लिए भी विवि प्रयास कर रहा है।
-प्रोफेसर राजेश वर्मा, कुलपति रादुविवि