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अर्जी वाले हनुमान, जिनके साल में एक बार होते हैं ये दुर्लभ दर्शन- देखे वीडियो

locationजबलपुरPublished: Mar 30, 2018 11:35:02 am

Submitted by:

Lalit kostha

रामलला मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है सदियों पुरानी प्रतिमा, खास मुहूर्त में होता है पूजन
 

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जबलपुर। वेद-पुराणों के अनुसार राम दूत हनुमान ऐसे देवता हैं, जिन्हें एक साथ कई जगह पर उपस्थित हो जाने की शक्ति और अमरत्व प्राप्त है। चारों युगों में उनका प्रताप वर्णित है। उन्हें यह वरदान प्राप्त है कि जहां भी उनके प्रभु श्रीराम का नाम लिया जा रहा हो, वहां वे सूक्ष्म रूम में उपस्थिति दर्ज कराते हैं। जबलपुर में उनका एक सूक्ष्म रूप लोगों को हर बार कृतार्थ करता है। बात हो रही है, नर्मदा तीर्थ ग्वारीघाट स्थित प्रसिद्ध रामलला मंदिर की…। यहां हनुमानजी बिल्कुल के रूप में यानी बाल रूप में विराजमान है। उनकी प्रतिमा के दर्शन साल में मात्र एक बार हनुमान जयंती पर ही सुलभ होते हैं। वीर हनुमान के इस बाल रूप को देखने के लिए हर साल लम्बी कतार लगती है।

 


अनूठा है दिन
रामदूत हनुमान को मंगलवार का दिन अतिप्रिय है। कहा जाता है कि उनका जन्म इसी दिन हुआ था। संयोग ही कहें कि चैत्र पूर्णिमा पर 11 अपै्रल को कल मंगलवार ही है। इस दिन राम भक्त हनुमान के जन्मोत्सव की धूम मचेगी। हर तरफ तैयारियों का दौर है। हनुमान मंदिर सजावट से दमक उठे हैं। रामदूत के लिए चोला, फूल माला और लड्डुओं का भोग तैयार है। यही तैयारी ग्वारीघाट के रामलला मंदिर में भी चल रही है। खास बात ये है कि यहां यह भोग हनुमानजी बालक के रूप में ग्रहण करेंगे।

 

गर्भगृह में है प्रतिमा
मंदिर के संरक्षण पं. इंद्रभान शास्त्री बताते हैं कि रामलला मंदिर के गभगृह में हनुमान जी की एक करीब पांच अंगुल बराबर प्रतिमा है। इस प्रतिमा में हनुमानजी बाल्य स्वरूप में हैं। प्रतिमा सदियों पुरानी है। इसे साल में केवल एक बार हनुमान जन्मोत्सव के दिन ही गर्भगृह से बाहर निकाला जाता है। प्रतिमा को षोडसोपचार विधि से पूजन किया किया जा है। उन्हें दूध और लड्डुओं का भोग अर्पित किया जाता है। यह परंम्परा पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है।

 

पूरी होती है हर अर्जी
बालरुप हनुमानजी के गर्भगृह के ऊपर ही एक बड़ी प्रतिमा है, जो रामलला के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रतिमा में हनुमानजी दुष्टों को खदेडऩे जैसी मुद्रा में हैं। यहां हर रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। हनुमान जन्मोत्सव के दिन तो मेला लगता है। पं. आरके तिवारी ने बताया कि यहां मंदिर में लोग अपनी मान्यता लिखकर नारियल बांधते हैं। हर साल आने वाले लाखों नारियल इस बात का प्रमाण है कि लोगों की इच्छित मनोकामना को हनुमानजी महाराज पूरा कर रहे हैं।


कहीं नहीं है ऐसी प्रतिमा
स्थानीय बीपी दुबे व सुरेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि गर्भगृह में स्थापित हनुमानजी की बाल्य स्वरूप की प्रतिमा अन्य कहीं देखने को नहीं मिलती है। जबलपुर में ही दमोहनाका में हनुमानजी की एक किशोरवय प्रतिमा है। ऐसी ही प्रतिमा कोतवाली में सराफा के समीप है, जो छोटे महावीर के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रतिमा को मराठों के समय की माना जाता है। इन दुर्लभ प्रतिमाओं के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

 

सवा लाख नारियल का हवन
बताया गया है कि मन्नत के लिए यहां साल भर में सवा से ज्यादा नारियल बांधे जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती पर हर साल इन्हीं करीब सवा लाख नारियलों का यहां पर हवन किया जाता है। इस हवन यज्ञ और वेदोच्चार से हर तरफ का वातावरण पवित्र और सुगंधित हो उठता है। कई लोग यजमान के रूप में इस पुण्य यज्ञ में भागीदार बनते हैं।

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