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जबलपुर में बमों का नया प्रयोग सफल, रक्षा मंत्रालय से मिली हरी झंडी

locationजबलपुरPublished: Nov 12, 2020 03:59:04 pm

Submitted by:

Lalit kostha

जबलपुर में बमों का नया प्रयोग सफल, रक्षा मंत्रालय से मिली हरी झंडी
 

ofk bomb jabalpur

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जबलपुर। एक्सपायर्ड बमों को नष्ट (डिस्ट्रॉय) करना अब आसान होगा। इस खतरनाक काम को जबलपुर में अंजाम देना संभव हो सकेगा। अभी एक्सपायरी बम को नष्ट करने के लिए सेना के जवान और आयुध निर्माणियों के कर्मचारियों को महाराष्ट्र के पुलगांव जाना पड़ता है। हाल ही में विशेषज्ञों की देखरेख में लॉन्ग प्रूफ रेंज (एलपीआर) खमरिया में बमों को नष्ट किया गया। यह प्रयोग सफल रहा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो सीओडी और ओएफके में रखे खतरनाक बमों को एलपीआर में ही नष्ट किया जाएगा।

एलपीआर में प्रयोग रहा सफल
एक्सपायर्ड बम अब जबलपुर में ही होंगे नष्ट

सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले बमों की एक निश्चित अवधि होती है। आमतौर पर यह 15 वर्ष मानी जाती है। बमों को नष्ट करने के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाई जाती है। बम को नष्ट करने से पहले सेफ्टी ऑडिट किया जाता है। इसके बाद डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) इन्हें नष्ट करने का तरीका बताता है। कोर ऑफ ऑर्डनेंस बमों को नष्ट करता है। इसका प्रशिक्षण जबलपुर में कॉलेज ऑफ मटेरियल मैनेजमेंट (सीएमएम) में दिया जाता है। वर्तमान में एक्सपायर हो चुके बमों को महाराष्ट्र के पुलगांव में एक पिट में रखकर नष्ट किया जाता है। सेंट्रल ऑर्डनेंस डिपो (सीओडी) और ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके) से इन बमों को सुरक्षित तरीके से पुलगांव ले जाया जाता है। हर लॉट में 50-60 कर्मचारी यहां से भेजे जाते हैं। बम नष्ट करते समय कई बार दुर्घटना भी होती हैं। कुछ समय पहले ओएफके के कर्मचारी इसमें हताहत हुए थे।

 

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ऐसे हुआ प्रयोग-
14 किमी की की रेंज वाले एलपीआर में आगे के भाग में वर्तमान में बमों और हथियारों का परीक्षण होता है। कुछ दूरी पर बने पिट में बम रखकर विस्फोट किया जाता है। रेंज की जमीन के बीच का हिस्सा वीरान होता है। एक हिस्से में चारों तरफ पहाडिय़ों से घिरी राइफल रेंज थी। इसमें छोटे हथियारों की टेस्टिंग होती थी। अब राइफल रेंज शिफ्ट हो गई है।

ये होगा फायदा
– रक्षामंत्रालय का पैसा बचेगा।
– समय की बचत होगी।
– कीमती संपत्ति का सदुपयोग होगा।
– सीएमएम को ट्रेनिंग देने में आसानी होगी।
– पुलगांव पर निर्भरता कम होगी।

एलपीआर में एक्सपायर्ड बमों को नष्ट करने का प्रयोग किया गया है। यह प्रणाली खुद के संसाधनों से विकसित की गई है। अभी यह काम पुलगांव में होता है।
– ब्रिगेडियर निश्चय राउत, कमांडेंट, एलपीआर खमरिया

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