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जबलपुर। मेडिकल अस्पताल की नर्सरी में एक नवजात सभी के आकर्षण का केन्द्र रहा। कारण यह कि जन्मते ही उसे ऐसी विकृति ने घेर लिया जो 5 लाख में से किसी एक बच्चे को होती है। खास बात यह है कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने बच्चे को नया जीवन दान दे दिया। मेक्रोग्लोसिया (जीभ का ट्यूमर) नामक विकृति का सफल ऑपरेशन किया। डॉक्टरों के कमाल की चर्चा लंदन तक हो रही है। वहां की वेबसाइट और अखबारों में भी यह खबर सुर्खियों में है।
गेंद के समान थी जीभ
मेडिकल में पदस्थ पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. विकेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले महीने जबलपुर की मिनी लोधी नामक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चा जन्मजात विकृति मेक्रोग्लोसिया (जीभ का ट्यूमर) से ग्रसित था। उसकी जीभ इतनी मोटी थी कि वह दूध भी नहीं पी सकता था। भूख के कारण वह रोता तो था, लेकिन मां विवश थी। बच्चे को स्तन पान कराना असंभव था। बच्चे को बचाना भी मुश्किल हो रहा था। ऑपरेशन के अलावा बच्चे को बचाने का कोई विकल्प नहीं था। बड़ी कोशिस के बाद चार दिन में परिजनों ने ऑपरेशन के लिए हामी भरी। दो घंटे की मशक्कत के बाद नवजात बच्चे की जीभ से ट्यूमर को पूरी तरह से अलग कर दिया है। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।
पांच लाख में एक बच्चे को होती है यह बीमारी
डॉ. अग्रवाल के अनुसार मेक्रोग्लोसिया (जीभ का ट्यूमर) नामक यह जन्मजात होने वाली विकृति बेहद खतरनाक है। यह पांच लाख बच्चों में से किसी एक में पाई जाती है। इस बीमारी से पीडि़त बच्चे की जीभ मोटी हो जाती है। गर्भ में भी वह असुरक्षित रहता है। जन्म के बाद भी वह कुछ खा या पी नहीं पाता। उसका बचना बहुत ही मुश्किल होता है। एक ही बार उसका पूरा ट्यूमर अलग कर दिया गया। ऑपरेशन के बाद सबसे पहले शक्कर का पानी दिया गया। अब बच्चा मुस्कुरा रहा है और मां भी खुश है।
... और छलक आए सभी के आंसू
ऑपरेशन के बाद मां मिनी ने अपने बच्चे को गोद में लिया तो उसकी आंखें छलक आंईं। बच्चे ने भी प्यारी सी स्माइल दे दी, जिससे वहां मौजूद डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ की आंखें भी खुशी से छलक उठीं। अब बच्चा अपने घर पर स्वस्थ है।