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भड़ली नवमी: अपने आप में स्वयंसिद्ध है ये दिन, जानिए क्यों है खास…

बुधवार को गुप्त नवरात्र समाप्त हो रहे हैं। स्वयं सिद्ध मुहूर्त और श्रीहरि जयंती एक साथ है।

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Abha Sen

Jul 13, 2016

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जबलपुर। बुधवार को गुप्त नवरात्र समाप्त हो रहे हैं। भड़ली नवमी, स्वयं सिद्ध मुहूर्त और श्रीहरि जयंती एक साथ है। विवाह मुहूर्त अब 13 जुलाई तक ही है। इन दिनों के मुहूर्त में सर्वाधिक विवाह बुधवार को भड़ली नवमी पर किए जा रहे हैं।

पंडितों के अनुसार भड़ली नवमी तिथि अक्षय तृतीया और बसंत पंचमी की तरह अबूझ मुहूर्त वाली तिथि मानी जाती है। इस दिन किए गए कार्य शुभ व समृद्धि दायक होते हैं। बुधवार को ही श्री हरि जयंती भी है। यह अपने आप में स्वयंसिद्ध है। जिसमें लक्ष्मी-नारायण की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन इंद्राणी ने व्रत पूजन के प्रभाव से इंद्र को प्राप्त किया था। इसी वजह से भड़ली नवमी पर आभूषण, वाहन, भवन और भूमि आदि की खरीदी में हर वर्ष तेजी दिखाई देती है।


दूसरी ओर शहर व आसपास के क्षेत्रों में बुधवार को इस तिथि के मुहूर्त में 300 से अधिक जोड़े दांपत्य सूत्र में बंधेंगे। 15 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ होने पर विवाह नहीं होंगे। इसके बाद विवाह मुहूर्त नवंबर में देव उठनी ग्यारस के बाद शुरू होंगे।

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