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जबलपुर

पत्रिका लाइव: डॉक्टर गए सर्दियों की छुट्टी पर, बुजुर्ग मरीज हो रहे परेशान

सीजीएचएस डिस्पेंसरी नंबर दो में रोजाना बिना दवा के लौट रहे मरीज, घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिल पा रही दवा

जबलपुरDec 24, 2022 / 11:43 am

Lalit kostha

cghs dispensary jabalpur

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जबलपुर। अरे डॉक्टर साब मेरा नंबर आने से पहले ही बंद कर दिए…मैं दो दिन से लौट रहा हूं, देख लीजिए कुछ हो जाए। मैं अपनी मां की दवाई लेने पिछले एक हफ्ते से आ रहा हूं, लेकिन लंबी लाइन और एक एक घंटे इंतजार के बाद भी मेरा नंबर नहीं आ पाता और सर्वर बंद हो जाता है… मुझे रेफर बनवाना है, दो घंटे से खड़ा हूं लेकिन लाइन आगे ही नहीं बढ़ पा रही है… ये नजारा शुक्रवार सुबह यादव कॉलोनी स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी नंबर दो में देखने मिला। जहां बुजुर्ग और चलने फिरने में असमर्थ मरीज घंटों तक अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। पिछले करीब 12 दिनों से यही हाल है। बुजुर्गों ने बताया डॉक्टरों की कमी और धीमी गति से काम होने के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी न तो सुन रहे हैं और न इसका कोई समाधान ही उपलब्ध करा रहे हैं।

 

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दो डॉक्टरों के भरोसे 300 मरीज
यादव कॉलोनी स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी में रोजाना करीब 250 से 300 मरीज आ रहे हैं। उन्हें दवाएं लिखने, रेफर करने और सलाह देने के लिए महज दो या तीन डॉक्टर ही मौजूद रहते हैं। जिनमें एक डॉक्टर मैडम पेशेंट देखने के बजाए अपने फाइलों के काम ज्यादा निपटाती हैं। वहीं दो डॉक्टर दो एवं चार नंबर कमरे में बैठ रहे हैं जिनके भरोसे सभी मरीज होते हैं।

 

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डॉक्टर दिसम्बर की छुट्टी पर गए

डिस्पेंसरी के कर्मचारी से जब इस मामले में बात की गई तो उसने बताया कि कुछ डॉक्टर सर्दियों की छुट्टी मनाने के गए हैं। जिसके चलते केवल दो ही डॉक्टर मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। वे कब आएंगे ये किसी को नहीं पता है। लंबी कतारें होने के चलते दोपहर 2 बजे तक भी कई लोगों का घंटों के इंतजार के बाद नंबर नहीं आ पाता है और सर्वर बंद होने से रोजाना बहुत से मरीज बिना परामर्श और दवाओं के ही लौट रहे हैं।


बैठने तक के पर्याप्त इंतजाम नहीं
बुजुर्ग मरीजों की संख्या को देखते हुए डिस्पेंसरी परिसर में पर्याप्त बैठक व्यवस्था भी नहीं है। कई बुजुर्गों ने इस बावत् जब डॉक्टर्स से बात करनी चाही तो उन्होंने ये कहकर उन्हें टाल दिया कि ये काम हमारा नहीं है। मजबूरी में बुजुर्गों को लंबी कतारों में खड़े ही रहना पड़ रहा है।

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