
chaitra navratri 2023
जबलपुर. हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 का आरंभ शुभफलदायी शुक्ल योग में 22 मार्च से होगा। इसका नाम नल होगा और इस नव संवत्सर में ऐसे कई मौके आएंगे, जिस शुभ मुहूर्त में व्यापारी अपनी बही का पूजन कर सकते हैं।
सभी राशियों पर पड़ेगा प्रभाव, अर्थव्यवस्था पर होगा सकारात्मक असर
इसे सभी राशियों के लिए शुभफलदायक माना जा रहा है। अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव होगा। ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार इस नए वर्ष का राजा बुध और मंत्री शुक्र होंगे। कुल मिलाकर इस साल सभी क्षेत्रों में मिले-जुले परिणाम दिखाई देंगे। बुध और शुक्र का कृषि, कला, व्यापार, विज्ञान, संगीत, फिल्म और संचार सेवा में अधिपत्य होने से इन क्षेत्रों में नई उपलब्धियां हासिल होंगी।
शुक्र के मंत्री बनने से महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा और उन्हें कई मौलिक अधिकार मिलेंगे, कई अहम पदों पर वे आसीन होंगी। ज्योतिर्विद शुक्ला के अनुसार 21 मार्च रात 12:53 बजे नव संवत्सर 2080 का प्रवेश होगा, लेकिन शुभारंभ 22 मार्च को सूर्योदय से ही माना जाएगा।
चैत्र में सृष्टि की रचना
शुक्ला ने बताया कि पौराणिक मान्यतानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर भगवान ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। इसी दिन गुड़ी पड़वा मनाई जाती है, लोग गुड़ी की पूजा कर नववर्ष का शुभारंभ करते हैं। हिंदू नव संवत्सर की स्थापना वीर विक्रमादित्य ने की थी। इसीलिए इसे उनके नाम से विक्रम नव संवत्सर कहा जाता है।
अधिकमास होने के चलते हिंदू नए वर्ष में होंगे 13 महीने
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैसे तो हर साल 12 महीने का होता है, लेकिन इस बार श्रावण माह अधिक मास होने से नव वर्ष में 13 महीने होंगे। नव संवत्सर 2080 में चैत्र 22 मार्च से 6 अप्रेल तक, वैशाख 7 अप्रेल से 5 मई तक, ज्येष्ठ 6 मई से 4 जून तक, आषाढ़ 5 जून से 3 जुलाई तक, श्रावण 4 जुलाई से 31 अगस्त तक (अधिक मास होने से यह महीना इस बार 60 दिन का होगा), भाद्रपद 1 सितंबर से 29 सितंबर तक, आश्विन 30 सितंबर से 28 अक्टूबर तक, कार्तिक 29 अक्टूबर से 27 नवंबर तक, मार्गशीर्ष 28 नवंबर से 26 दिसंबर तक, पौष 27 दिसंबर से 25 जनवरी 2024 तक, माघ 26 जनवरी 2024 से 24 फरवरी 2024 तक और फाल्गुन 25 फरवरी 2024 से 25 मार्च 2024 तक रहेगा।
Published on:
16 Mar 2023 01:37 pm
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