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दशहरा और दुर्गा पूजा पर कोरोना का कहर, डेढ सौ साल पुरानी रवायत पर भी लगा ग्रहण

locationजबलपुरPublished: Oct 25, 2020 10:31:18 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

– टूटी 70 साल की परंपरा
 
 

कोरोना वायरस (प्रतीकात्मक फोटो)

कोरोना वायरस (प्रतीकात्मक फोटो)

जबलपुर. कोरोना संक्रमण के चलते इस 2020 के साल में बहुतेरे रिकार्ड बने, तो कई रिकार्ड ध्वस्त हुए। कही पुरानी परंपराएं भी टूट गईं। इसी कड़ी में दशहरा और दुर्गापूजा का नाम भी शामिल हो गया है। शहर में दुर्गा पूजा मनाने की इजाजत तो मिली, पर संयमित तरीके से। ऐसे में जो उल्लास पिछले सालों में देखने को मिलता था वह इस बार नहीं दिखा। पूजा पंडालों में देवी प्रतिमा स्थापित जरूर की गईं, पर उनका आकार छोटा रहा। लेकिन सबसे ज्यादा अगर कुछ लोगों को खला तो वो रहा पंजाबी दशहरा। स्थानीय लोगों की मानें तो इस बार 70 साल का रिकार्ड टूट गया।
कोरोना संक्रमण के चलते पहली दफा पंजाबी दशहरा नहीं मनाया गया। लंकाधिपति रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले नहीं जले। ग्वारीघाट स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज मैदान में सार्वजनिक आयोजन नहीं हुआ। हालांकि इसकी घोषणा पंजाबी हिंदू एसोसिएशन ने पहले ही कर दी थी। ऐसे ही जबलपुर की रामलीला भी नहीं हुई।
वहीं एक साथ मां दुर्गा के विविध रूपों की झांकी भी नहीं निकलेगी जिसे देखने के लिए भक्त गण पूरी रात सड़कों पर जमा रहते थे। स्थानीय लोग बताते हैं कि विजया दशमी पर आयोजित होने वाले मुख्य चल समारोह की परंपरा लगभग 150 साल पुरानी है। इन डेढ़ सौ सालों में केवल तीन मौके ऐसे आए जब इसे स्थगित करना पड़ा। अंतिम बार 1964 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण सार्वजनिक आयोजन नहीं हुए थे। इस बार कोरोना ने फिर से लोगों को मायूस किया है।

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