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देश के लिए अब जीआईएफ बनाएगी खतरनाक ‘सारंग तोप’

देश के लिए अब जीआइएफ भी बनाएगी खतरनाक 'सारंग तोप'

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सारंग

जबलपुर। सेना के हथियारों के पार्ट्स की ढलाई करने वाली ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) अब गन निर्माण क्षेत्र में हाथ आजमा रही है। यहां भी 130 एमएम आर्टलरी तोप को 155 एमएम 45 कैलीबर सारंग तोप में अपग्रेड करने का काम होगा। आयुध निर्माणी बोर्ड से फाउंड्री को पहली खेप में छह तोप तैयार करने का ऑर्डर मिला है। इसमें पहली शारंग तोप बनाने का काम मंगलवार से शुरू हो गया। शुरुआत आयुध निर्माणी बोर्ड के अपर महानिदेशक एवं सदस्य एके अग्रवाल ने की।

अपग्रेडेशन के काम का ओएफबी सदस्य अग्रवाल ने किया शुभारम्भ

इस काम के लिए जीआइएफ के कर्मचारियों ने वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कर्मचारियों ने दो तोप तैयार की। वीएफजे उन्हें सेना को डिस्पैच कर चुकी है। पारंगत होने के उपरांत अब प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारियों ने जीआइएफ में तोप बनाने का काम शुरू कर दिया है। यह पहला मौका है, जब फाउंड्री ने इस तरह का काम शुरू किया है। महाप्रबंधक अजय सिंह ने बताया कि सारंग तोप का निर्माण फाउंड्री को नई ऊर्जा देगा। प्रयास है कि अगले तीन महीनों में पहली तोप तैयार कर सेना के सुपुर्द कर दी जाए।

फलदार पौधा किया भेंट
आयुध निर्माणी बोर्ड के अपर महानिदेशक एवं सदस्य अग्रवाल का मंगलवार को जीआइएफ का दौरा था। महाप्रबंधक अजय सिंह ने फ लदार पौधा भेंट कर उनका स्वागत किया। अग्रवाल ने जीआइएफ के उत्पादन अनुभागों का दौरा किया। निर्माणी में बनाए जा रहे विभिन्न उपकरणों के साथ वायुसेना के 250 किलो बम की गुणवत्ता सम्बंधी प्रयासों का आकलन किया।

जीआइएफ तीसरी फैक्ट्री
38 से 40 किमी की मारक क्षमता वाली शारंग तोप का प्रोजेक्ट शहर की तीसरी आयुध निर्माणी के पास पहुंचा है। सबसे पहले यह काम गन कैरिज फैक्ट्री में शुरू हुआ। वहां पर धनुष तोप प्रोजेक्ट में गति लाने के लिए उसे वीएफजे शिफ्ट किया गया। जीआइएफ ने भी इसे शुरू किया है। माना जा रहा है कि सेना के पास जितनी भी 130 एमएम तोप हैं, उन्हें अपग्रेड करने का काम भविष्य में जीआइएफ और वीएफ जे मिलकर करेंगी।