
Deepika Padukone
जबलपुर. इन दिनों एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण अपने मेकअप को लेकर चर्चा में हैं। वे छपाक मूवी की शूटिंग में बिजी हैं। बताया जाता है कि एसिड अटैक पीडि़त का किरदार निभाने के लिए उन्हें तकरीबन 4 घंटे का मेकअप करना होता है। आपको बता दें कि किरदार में मेकअप का अहम रोल होता है। मेकअप उस किरदार को जीवंत बना देता है। फिल्म में मेकअप की बात जब छिड़ी है तो मेकअप के मामले में जबलपुर शहर के आर्टिस्ट भी कम नहीं है। शहर में थिएटर का काम काफी किया जाता है। ऐसे में थिएटर के मेकअप आर्टिस्ट भी समय-समय पर चैलेंजिंग मेकअप करते हैं।
जिस तरह कई फिल्म में अपने खास किरदार और उनकी मेकअप के लिए जानी जाती है। उसी तरह शहर के मेकअप आर्टिस्ट ने भी कई नाटकों के किरदारों में इस तरह का मेकअप किया जो कि नाटक को यादगार बना बैठा। मेकअप करने में घंटों का समय लगता है। इसके अलावा कई ऐसी चीजें भी उपयोग की जाती हैं, जो कि आपने सोची भी नहीं होगी। सिटी मेकअप आर्टिस्ट मंच पर अपने किरदारों को जीवित करने के लिए एक्सपेरिमेंटल मेकअप भी कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि शहर में मेकअप को लेकर किस तरह का काम किया गया है। कब-कब चैलेंजिंग मेकअप किए गए हैं।
जिस तरह कई फिल्म में अपने खास किरदार और उनकी मेकअप के लिए जानी जाती है। उसी तरह शहर के मेकअप आर्टिस्ट ने भी कई नाटकों के किरदारों में इस तरह का मेकअप किया जो कि नाटक को यादगार बना बैठा। मेकअप करने में घंटों का समय लगता है। इसके अलावा कई ऐसी चीजें भी उपयोग की जाती हैं, जो कि आपने सोची भी नहीं होगी। सिटी मेकअप आर्टिस्ट मंच पर अपने किरदारों को जीवित करने के लिए एक्सपेरिमेंटल मेकअप भी कर रहे हैं। तो आइए जानते हैं कि शहर में मेकअप को लेकर किस तरह का काम किया गया है। कब-कब चैलेंजिंग मेकअप किए गए हैं।
एसिड अटैक पीडि़त किरदार का मेकअप
शहर के मशहूर मेकअप आर्टिस्ट संजय बैन पटेरिया ने बताया कि वह वर्ष 1992 से थिएटर मेकअप का काम कर रहे हैं। इस दौरान कई तरह के चैलेंजिंग मेकअप उनके सामने आए हुए हैं। वे बताते हैं कि 3 साल पहले उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक एसिड अटैक पीडि़ता का किरदार निभाने वाली लड़की का मेकअप किया था, जिसे करने में उन्हें डेढ़ घंटे लगे थे। इस मेकअप के लिए उन्होंने उबले आलू के छिलके, टिशु पेपर और चाय पत्ती के दानों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने बताया कि यह उनका एक्सपेरिमेंटल मेकअप था, जिसे लोगों ने काफी सराहा था। इसके अलावा दो साल पहले विवेचना रंगमंडल के द्वारा किए गए शगुन पंछी नाटक में भी उन्होंने एक जले हुए चेहरे का मेकअप किया था, जिसमें भी उन्होंने इसी तरह जुगाड़ की चीजों का इस्तेमाल किया था। संजय बताते हैं कि इस तरह का मेकअप करना काफी चैलेंजिंग होता है, क्योंकि मेकअप को स्किन टोन के हिसाब से भी मैच करना पड़ता है।
दुर्घटना में आंख बाहर आ जाने का सीन
मेकअप आर्टिस्ट कार्तिक बैनर्जी ने बताया कि मेकअप करना चैलेंजिंग काम है, तभी जाकर किरदार मंच पर जीवंत हो उठता है। हाल ही में उन्होंने भगदत का हाथी नाटक में एक लड़की का मेकअप किया था, जिसमें एक सीन के बाद उस लड़की की आंख बाहर लटक जाती है। इस मेकअप के लिए उन्होंने लिक्विड रबर ऑनलाइन आर्डर करके मंगवाई थी, क्योंकि यह जबलपुर में नहीं मिलती है। इसके अलावा उन्होंने कई जुगाड़ के आइटम से यह मेकअप किया था, जो कि लोगों के बीच काफी सराहा गया। कार्तिक ने बताया कि बड़े-बड़े महापुरुषों का मेकअप करने में भी काफी समय लगता है। इसके अलावा नाक, आंख, कान को अलग तरीके से दिखाने के लिए पीओपी का भी इस्तेमाल किया जाता है। उससे पहले ही उनके मुखोटे बनाए जाते हैं। यह भी मेकअप का ही हिस्सा है।
Published on:
16 Apr 2019 01:55 pm
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